मायावती ने गठबंधन पर लगाया ब्रेक, आगामी उपचुनाव अकेले लड़ेगी बसपा
मायावती ने गठबंधन पर लगाया ब्रेक, आगामी उपचुनाव अकेले लड़ेगी बसपा
- लोकसभा चुनाव में हार के बाद सपा-बसपा गठबंधन पर बोलीं मायावती
- सपा के साथ स्थायी ब्रेक नहीं है
- अगर संभावनाएं रहीं तो आगे भी साथ आएंगे
- सपा को और काम करने की जरूरत
- आगामी उपचुनाव अकेले लड़ेगी बीएसपी
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन में पड़ती दरार साफ नजर आने लगी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया है कि, आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा अकेले ही मैदान में उतरेगी। हालांकि उन्होंने ये भी साफ कर दिया है कि, यह सपा के साथ स्थायी ब्रेक नहीं है, अगर संभावनाएं रहीं तो आगे भी साथ आएंगे।
मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मायावती ने कहा, कन्नौज में डिंपल यादव, बदायूं में धर्मेंद यादव और फिरोजाबार में अक्षय यादव की हार हमें सोचने पर मजबूर करती है। इनकी हार का हमें भी बहुत दुख है। चुनाव परिणाम के बाद पता चला कि यादव जाति की लोगों ने भी सपा को वोट नहीं दिया। ऐसे में यह सोचने की बात है कि सपा को ही यादवों का वोट नहीं मिला तो बसपा को उनका वोट कैसे मिला होगा। बसपा और सपा का बेस वोट जुड़ने के बाद इन उम्मीदवारों को हारना नहीं चाहिए था।
BSP Chief Mayawati on SP-BSP coalition: It"s not a permanent break. If we feel in future that SP Chief succeeds in his political work, we"ll again work together. But if he doesn"t succeed, it"ll be good for us to work separately. So we"ve decided to fight the by-elections alone. pic.twitter.com/VP20N4zL4Y
— ANI UP (@ANINewsUP) June 4, 2019
मायावती ने कहा, अखिलेश और डिंपल मुझे बहुत इज्जत देते हैं। हमारे रिश्ते हमेशा बने रहेंगे, लेकिन राजनीतिक विवशताएं हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे यूपी में जो उभरकर सामने आए हैं, उसमें यह दुख के साथ कहना पड़ा है कि यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा को उनका वोट नहीं मिला। यादव समाज के वोट न मिलने के चलते कई महत्वपूर्ण सीटों पर भी सपा के मजबूत उम्मीदवार हार गए।
मायावती ने साफ कर दिया है कि, फिलहाल गठबंधन पर ब्रेक लिया गया है, लेकिन यह स्थायी नहीं है। मायावती ने कहा, सपा को और काम करने की जरूरत है। सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों को करने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं और पार्टी को मिशनरी बनाते हैं तो फिर हम आगे साथ लड़ेगे, अगर वह ऐसा नहीं कर पाते तो हमें अकेले ही चुनाव लड़ना बेहतर होगा।