Ambedkar Jayanti: इतनी खूबसूरत थी बाबा साहब की लवस्टोरी, समाज से लड़कर की थी ब्राह्मण महिला से शादी
Ambedkar Jayanti: इतनी खूबसूरत थी बाबा साहब की लवस्टोरी, समाज से लड़कर की थी ब्राह्मण महिला से शादी
- डॉक्टर अंबेडकर की शादी साल 1906 में सिर्फ 15 साल की उम्र में ही हो गई थी
- क्योंकि उस वक्त बालविवाह का प्रचलन था।
- भारतीय संविधान के जनक और दलित समाज को नई पहचान देने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का आज 128 वां जन्मदिन है
- वे यह बात बहुत जल्दी ही समझ गए थे कि एक ज्ञान ही है
- जो समाज से हर दोष दूर कर सकता है।
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। भारतीय संविधान के जनक और दलित समाज को नई पहचान देने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का आज 128 वां जन्मदिन है। मध्यप्रदेश के महू में जन्में डॉक्टर अंबेडकर की शादी साल 1906 में सिर्फ 15 साल की उम्र में ही हो गई थी, क्योंकि उस वक्त बालविवाह का प्रचलन था। उनकी पत्नी का नाम रमाबाई थी और उस दौरान वह 9 साल की थी। पहली पत्नी से उनके पांच बच्चे थे। लंबी बीमारी के चलते 1935 में रमाबाई का निधन हो गया। शादी के बाद भी बाबा साहब ने अपनी पढ़ाई पूरी की। इस दौरान उनकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए। बाबा साहब को शादी के बाद एक बार फिर प्यार हुआ। अपने प्यार को हासिल करने के लिए वे अपने परिवार और समाज तक से लड़ गए थे। बाबा साहब के जन्मदिन पर जानें उनकी खूबसूरत लव स्टोरी।
इग्लैंड में पढ़ाई के दौरान प्यार में पड़ गए थे बाबा साहेब
बाबा साहेब अंबेडकरको पढ़ना बहुत पसंद था। वे यह बात बहुत जल्दी ही समझ गए थे कि एक ज्ञान ही है, जो समाज से हर दोष दूर कर सकता है। मुम्बई के एलफिंस्टन में दाखिला लेने वाले बाबा साहेब एक अकेले दलित थे। वहां से उन्होंने बैचलर्स की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद जब वे इग्लैंड में थे, उस दौरान उनकी मुलाकात अंग्रेज महिला फ्रांसिस फिट्जेराल्ड से हुई थी। फ्रांसिस उन दिनों हाउस ऑफ कामंस और इंडिया हाउस में टाइपिस्ट थीं। अंबेडकर से वह 1920 के आसपास लंदन में ही मिलीं। कुछ समय में दोनों करीब आ गए थे। कुछ की नजर में ये एक प्लेटोनिक रिश्ता था। करीब 1923 से 1943 बीच उनकी बात हुईंं। वे लैटर्स के माध्यम से भी एक दूसरे से बात करते रहते थे।
पत्रों के माध्यम से होता था संवाद
बाबा साहेब और फ्रांसिस के बीच लगभग 92 पत्रों में बात हुई। इन 92 पत्रों में फ्रांसिस का अंबेडकर के प्रति अपनत्व झलकता है और प्यार भी। उनके प्रति फिक्र भी और कुछ हद तक अधिकार की भावना भी। कुछ पत्र प्यार के अहसासों में डूबे हुए थे। साल 2005 में इन पत्रों पर एक बुक भी प्रकाशित की गई थी। जिस पर उनके पोते प्रकाश अंबेडकरने आपत्ति व्यक्त की थी। डॉक्टर अंबेडकर की आखिरी किताब "व्हाट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू अनटेचेबल" फ्रांसिस को समर्पित थी।
आखिरी किताब फ्रांसिस थी समर्पित
अंबेडकर के पत्रों से यह बात साफ जाहिर होती है कि वे फ्रांसिस को डी कहकर बुलाते थे। फ्रांसिस उन्हें प्यारे भीम कहकर संबोधित करती थी। वह वर्ष 1943 में भारत आना चाहती थीं, लेकिन तत्कालीन राजनीतिक हालात के चलते उन्हें वीजा नहीं मिल सका। 1964 में बाबासाहेब के सहयोगी और बैरिस्टर केके खाडे लंदन में फ्रांसिस से मिले। जब उन्होंने उनसे पूछा, "क्या उन्हें मालूम है कि डॉ. अंबेडकर ने अपनी आखिरी किताब उन्हें समर्पित की है" तो उनका कहना था, "हां मुझे मालूम है।" फ्रांसिस अक्सर बाबा साहेब के स्वास्थ को लेकर चिंतित रहती थी। उनकी चिंता पत्रों में साफ झलकती थी, लेकिन न जाने क्या हुआ कि वर्ष 1943 के बाद दोनों के बीच पत्राचार औऱ संबंध खत्म हो गया।
जब दूसरी बार प्यार में पड़े बाबा साहेब
साल 1947 के दौरान बाबा साहेब काफी बीमार रहने लगे। उन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी हो गई। उस दौरान मुंबई की डॉक्टर सविता ने उनका इलाज शुरु किया। वह पुणे के सभ्रांत मराठी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती थीं। इलाज के दौरान वह डॉक्टर अंबेडकर के करीब आईं। दोनों की उम्र में अंतर था। 15 अप्रैल 1948 को अंबेडकर ने अपने दिल्ली स्थित आवास में उनसे शादी कर ली। जब शादी हुई तो न केवल ब्राह्मण बल्कि दलितों वर्ग ने भी इस शादी का विरोध किया। अंबेडकर के बेटे ने भी इस शादी का विरोध किया। इन विरोधों से परे रहकर, डॉक्टर सविता ने मरते दम तक अंबेडकर का साथ दिया।