जानिए उन हथि‍यारों के बारे जो बिना धमाके के किसी भी देश को कर सकते हैं तबाह, यहां जानिए कैसे होता है उनका इस्तेमाल

रूस-यूक्रेन तनाव जानिए उन हथि‍यारों के बारे जो बिना धमाके के किसी भी देश को कर सकते हैं तबाह, यहां जानिए कैसे होता है उनका इस्तेमाल

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-12 10:51 GMT
जानिए उन हथि‍यारों के बारे जो बिना धमाके के किसी भी देश को कर सकते हैं तबाह, यहां जानिए कैसे होता है उनका इस्तेमाल
हाईलाइट
  • ब्‍लैक डेथ में इस्तेमाल हुआ पहली बार जैविक हथियार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार जब  बैक्‍टीरिया, वायरस और फफूंद जैसे हानिकारक सूक्ष्मजीवों  का इस्तेमाल  जानबूझकर इंसानों को संक्रमित करने के लिए किया जाता है  तब उन्हें जैविक हथियार कहा जाता है।

तेजी से फैलते है सूक्ष्मजीवाणु विषाणु कवक

ये काफी हानिकारक होते है और कम समय में ही बहुत बड़े इलाके में फैल जाते है। और काफी मात्रा में जीवों पर असर डालते है।  नुकसान में ये बारूद  बमों से भी अधिक नुकसान पहुंचा देते है।  सबसे बड़ी बात इनका तुरंत पता नहीं चल पाता और मानव समाज में निरंतर फैलते रहते है। ज्यादातर इनका उपयोग कोई देश अपने दुशमन देश के खिलाफ करता है।   बायोलॉजिकल वेपन या जैविक हथियार में सबसे ज्‍यादा इस्तेमाल वायरस  का होता है। क्योंकि अन्य सूक्ष्म जीवों की  अपेक्षा वायरस तेजी से संक्रमित करते है। और  कुछ ही समय में  एक बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं। ये वहाँ रहने वाले लोगों में ऐसी बीमारियां पैदा कर देते हैं कि वो या तो मरने लगते हैं, या अपंग होने के साथ  मनोरोगी हो जाते है।

पहली बार जैविक हथियार का प्रयोग ब्‍लैक डेथ 

1347 में  ब्‍लैक डेथ 

मंगोलियाई सेना ने 1347 में पहली बार  जैविक हथियारों का इस्तेमाल  यूरोप के खिलाफ किया था। मंगोलियाई सेना ने वायरस से संक्रमित कई लाशों को ब्‍लैक-सी के किनारों पर फेंक दिया था। जिसके कारण संक्रमण तेज़ी से फैला और लगभग  4 साल के अंदर यूरोप में 2.5 करोड़ लोगों की मौत हो गई।  बाद में इस महामारी को ब्‍लैक डेथ के नाम से जाना गया।

1710 में प्लेग 

1710 में रूस ने स्वीडन  के ऊपर प्लेग वायरस वाले जैविक वेपन्स का इस्तेमाल किया । रूसी सेना ने "प्‍लेग"  वायरस से संक्रमित शव स्वीडन सेना पे फेंके थे जिससे करोडों लोगों की जान चली गई। 

प्रथम वर्ल्ड वार में जैविक वार

माना यह भी जाता है कि पहले विश्‍वयुद्ध में भी बायोलॉजिकल वेपन का प्रयोग हुआ था। जब जर्मनी ने एक गुप्त योजना बना कर दुश्मनों के घोड़ों और मवेशियों को संक्रमित किया, जिससे बाद मे लोगों मे संक्रमण फैला। एन्थ्रेक्स नामक इस जैविक हथियार से कई लोगों कि मौत हुई। आगे चल कर इस हथ‍ियार का इस्‍तेमाल जापान ने सोवियत में किया। जापान ने टाइफॉयड के वायरस को सोवियत के जलस्रोतों में मिलाया और संक्रमण फैलाया।

कई देशों के पास है जैविक हथि‍यार 

अब तक जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन समेत 17 देश जैविक हथियार बना चुके हैं,  पिछले 2 सालों से चीन पर कई बार आरोप लग चुके हैं कि उसने कोरोना को जैविक हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल किया। हालांकि, चीन ने हमेशा इस बात को नकारा है। इसके अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। 

मानवता के नाते बंद है बायोलॉजिकल वेपन्स

जीवन पर हमले को लेकर  मानवता के नाते कई राष्ट्रों ने इस पर बैन लगा रखा है। क्योंकि कई देश इसे पूरी मानव जाति के लिए खतरा मानते है। 

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