क्लाउड सीडिंग: नकली बादल से होगी असली बारिश, दिल्ली में ऐसे होगी क्लाउड सीडिंग, जानें कितने रुपए हो सकते हैं खर्च

  • नकली बादल से हो सकती है असली बारिश
  • दिल्ली सरकार करवा सकती है क्लाउड सीडिंग
  • कानपुर में कई जगह हुआ ट्रायल

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-19 09:15 GMT

डिजिटल डेस्क, नई  दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिसको रोकने के लिए दिल्ली सरकार अपनी पूरी मेहनत कर रही है। जिसके चलते दिल्ली सरकार अब नकली बादलों की मदद से दिल्ली में असली बारिश करवाने वाली है। जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आर्टिफिशियल बारिश के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि, दिल्ली में प्रदूषण बहुत ही गंभीर श्रेणी में है, जिससे निपटने के लिए आर्टिफिशियल बारिश करवाना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

मेडिकल इमरजेंसी का दिया नाम

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली की समॉग को मेडिकल इमरजेंसी का नाम दे दिया है। जिसके बाद कई सारे सवाल किए जा रहे हैं। जिसमें से सभी के जवाब देना भी मुश्किल है। सवाल ये हैं कि, आर्टिफिशियल बारिश कैसे होगी, इसको कैसे करवाते हैं, कितना आसान है आर्टिफिशियल बारिश करवाना? इसके अलावा ये भी सवाल आ रहा है कि बारिश होने की गारंटी है या नहीं? साथ ही, कितने दिन प्रदूषण कम हो सकता है? इसके अलावा कितना खर्च आएगा?

पिछली बार भी आई थी ये योजना

बीते हुए साल में भी दिल्ली सरकार ने 20 और 21 नवंबर को दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश करवाने की योजना बनाई गई थी। जिसकी जिम्मेदारी कानपुर IIT को दी गई थी। लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐसा हो जाएगा।

आर्टिफिशियल बारिश के लिए 40 प्रतिशत बादल जरूरी

सबसे पहले हवा की स्पीड और दिशा देखी जाएगी। उसके बाद आसमान में 40 प्रतिशत बादल हैं या नहीं ये देखा जाएगा। क्योंकि आर्टिफिशयल बारिश के लिए आसमान में करीब 40 प्रतिशत तक बादल होने जरूरी हैं। साथ ही बादलों में थोड़ा पानी होना भी जरूरी है। अगर इनमें से कुछ अंतर होता है तो ज्यादा परेशानी नहीं होगी लेकिन अगर ज्यादा कमी हुई तो दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश होना मुश्किल है। साथ ही इसका असर भी गलत पड़ सकता है।

आर्टिफिशियल बारिश का प्रोसेस

आर्टिफिशियल बारिश के लिए वैज्ञानिक आसमान में एक तय की गई ऊंचाई पर सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और साधारण नमक को बादलों में छोड़ा जाएगा। जिसको क्लाउड सीडिंग कहते हैं। ऐसा नहीं है कि इसके लिए विमान का इस्तेमाल हो। ये काम गुब्बारे, रॉकेट और ड्रोन से भी किया जा सकता है। इन कामों के लिए बादलों को सही से चुनना पड़ेगा। सर्दियों में बादलों में पर्याप्त पानी नहीं होता है। साथ ही इतनी नमी भी नहीं होती है कि बादल बन पाएं। वहीं, मौसम ज्यादा ड्राई रहा तो पानी की बूंदे जमीन पर गिरने से पहले ही भाप बनकर उड़ जाएंगी।

आर्टिफिशियल बारिश का प्रदूषण पर क्या होगा असर?

अब तक ये पक्का नहीं हुआ है कि इस बारिश से प्रदूषण कम होगा या नहीं। लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो, आर्टिफिशियल बारिश से स्मोगऔर गंभीर वायु प्रदूषण का पर्मानेंट इलाज नहीं है। इससे कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है लेकिन लंबे समय तक ये काम नहीं आएगा। साथ ही हवा के सही मूवमेंट का भी खास ख्याल रखना होगा क्योंकि, अगर तेज हवा चलने पर केमिकल उड़कर कहीं और चला गया तो पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी।

कितना आएगा खर्च?

दिल्ली में आर्टिफिशयल बारिश करवाने के लिए करीब 10 से 15 लाख रुपए का खर्च आएगा। जिसका इस्तेमाल दुनिया के 53 देश कर चुके हैं। कानपुर में छोटे विमान से आर्टिफिशियल बारिश के छोटे ट्रायल किए गए हैं। जिसके बाद कहीं ज्यादा बारिश हुई तो कहीं पर हल्की बारिश हुई थी। दिल्ली में साल 2019 में भी आर्टिफिशियल बारिश की तैयारी की गई थी लेकिन बादलों की कमी के चलते टालना पड़ा। साथ ही इसरो की तरफ से अनुमति भी नहीं मिली थी। 

Tags:    

Similar News