मॉडल से संत बने ‘भय्यू महाराज’ के जीवन का सफर

मॉडल से संत बने ‘भय्यू महाराज’ के जीवन का सफर

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-12 10:36 GMT
मॉडल से संत बने ‘भय्यू महाराज’ के जीवन का सफर
हाईलाइट
  • मॉडलिंग छोड़ने के बाद संत बने थे भय्यू महाराज
  • राष्ट्र संत भय्यू महाराज ने गोली मारकर की खुदकुशी।

डिजिटल डेस्क, इंदौर। मॉडल से संत बनने वाले भय्यूजी महाराज ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली, इस घटना ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया है। क्योंकि उनकी हर क्षेत्र में अलग पहचान थी। राजनीति से लेकर समाज और धार्मिक कार्यों में उन्होंने ऐसे काम किए हैं जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। आइए जानते हैं भय्यू महाराज की जिंदगी के बारे में। 

 

मॉडलिंग करने के बाद बने थे संत 

मध्यप्रदेश के शुजालपुर में जन्मे उदयसिंह देशमुख यानि भय्यूजी महाराज ने अपने कॅरियर की शुरुआत मुंबई में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से की थी। इस कार्पोरेट जॉब के बाद उन्होंने मॉडलिंग भी की। 80 के दशक में वो सियाराम फेब्रिक्स और ड्यूक टी-शर्ट्स के मॉडल के रूप में मैगजीन और अखबारों में नजर आए थे। इसके बाद वो अचानक मॉडलिंग की दुनिया छोड़कर धर्म और अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़े। 

 

 

आश्रम बनने के बाद "भय्यू महाराज" के नाम से हुए प्रसिद्ध 

1996 में उन्होंने इंदौर में अपना आश्रम बनाया और फिर वो भय्यू महाराज के नाम से प्रसिद्ध हो गए। महाराष्ट्र के कुछ कांग्रेसी नेताओं से उनके पारिवारिक संबंध भी थे। जिसके चलते महाराष्ट्र की राजनीति में भी उनकी पैठ थी। महाराष्ट्र की राजनीति में उन्हें संकटमोचक के तौर पर देखा जाता था। 

 

अन्ना हजारे के अनशन के दौरान चर्चा में आए 

2011 में भय्यूजी महाराज अन्ना हजारे के अनशन के दौरान पहली बार मीडिया की सुर्खियों में आए थे। अन्ना हजारे का अनशन खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था। बाद में अन्ना हजारे ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था। पीएम बनने के पहले गुजरात के सीएम के रूप में नरेंद्र मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब भी उपवास खुलवाने के लिए भय्यू महाराज को आमंत्रित किया गया था। 

 

भय्यूजी महाराज के आश्रम में आ चुके हैं देश के तमाम दिग्गज 

भय्यूजी महाराज के आश्रम में आने वाले पहले VIP महाराष्ट्र के पूर्व CM विलासराव देशमुख थे। उनके बाद देश के कई बड़े नेता, अभिनेता, गायक और उद्योगपति उनके आश्रम पहुंचे। इनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पीएम मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, सचिन तेंदुलकर, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, शरद पवार, लता मंगेशकर, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, आशा भोंसले, अनुराधा पौडवाल, फिल्म एक्टर मिलिंद गुणाजी शामिल हैं।

 

लेख और कविताएं भी लिखते थे भय्यूजी महाराज

संत भय्यूजी महाराज प्रवचन देते थे इसके साथ ही लेख और कविताएं भी लिखते थे। गाने और भजन गाते थे। वो स्कॉलरशिप बांटते थे, कैदियों के बच्चों को पढ़ाते थे। किसानों को खाद-बीज मुफ्त बांटते थे। गांवों में तालाब खुदवाने और पौधारोपण का काम भी करवाते थे। भय्यूजी महाराज के समर्थकों का मानना है कि उन्हें भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद हासिल था। महाराष्ट्र में उन्हें राष्ट्र संत का दर्जा मिला था। बताया जाता है कि सूर्य की उपासना करने वाले भय्यूजी महाराज को घंटों जल समाधि करने का अनुभव था। 

 

सेक्स वर्कर्स के 51 बच्चों को दिया अपना नाम 

भय्यूजी महाराज पद, पुरस्कार, शिष्य और मठ के विरोधी थे। व्यक्तिपूजा को वो अपराध की श्रेणी में रखते थे। उन्होंने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और समाज सेवा के बड़े काम किए हैं। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पंडारपुर में रहने वाली वेश्याओं के 51 बच्चों को उन्होंने पिता के रूप में अपना नाम दिया। यही नहीं बुलढाना जिले के खामगांव में उन्होंने आदिवासियों के बीच 700 बच्चों का आवासीय स्कूल बनवाया है। इस स्कूल की स्थापना से पहले जब वह पारधी जनजाति के लोगों के बीच गए थे, तो उन्हें पत्थरों से मार कर भगा दिया गया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उनका भरोसा जीता। 

गुरु दक्षिणा के नाम पर लगवाते थे पेड़

भय्यूजी महाराज ग्लोबल वॉर्मिंग से भी चिंतित थे, इसीलिए गुरु दक्षिणा के नाम पर वो पेड़ लगवाते थे। अब तक वो 18 लाख पेड़ उन्होंने लगवा चुके हैं। देवास और धार में करीब 1 हजार तालाब खुदवा चुके हैं। वो नारियल, शॉल, फूलमाला भी स्वीकार नहीं करते थे। वो अपने शिष्यों से कहते थे फूलमाला और नारियल में पैसा बर्बाद करने की बजाय उस पैसे को शिक्षा में लगाएं। ऐसे ही पैसों से उनका ट्रस्ट करीब 10 हजार बच्चों को स्कॉलरशिप देता है। 

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