केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर की टिप्पणी को किसान महासभा ने कॉर्पोरेट ताकतों की ओर से एक चुनौती बताया
कृषि कानून केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर की टिप्पणी को किसान महासभा ने कॉर्पोरेट ताकतों की ओर से एक चुनौती बताया
- किसानों नें मोदी सरकार को बताया कॉर्पोरेट की सरकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अखिल भारतीय किसान महासभा (एआईकेएस) ने रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के तीन कृषि कानूनों को वापस लाने के कथित बयान को किसानों और भारत के लोगों के खिलाफ कार्पोरेट ताकतों की ओर से एक चुनौती बताते हुए इसे खारिज कर दिया।
एआईकेएस के एक बयान में कहा गया है, यह चुनौती भारतीय और विदेशी दोनों कॉर्पोरेट ताकतों और विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूबी-आईएमएफ-डब्ल्यूटीओ) की वैश्विक साम्राज्यवादी त्रिमूर्ति की ओर से है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रमुख संगठनों ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर लगभग एक साल तक चले आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्हें इस महीने की शुरुआत में संसद ने निरस्त कर दिया है। तोमर की शुक्रवार को नागपुर में टिप्पणी कि कृषि कानूनों को वापस लाया जाएगा। उन्होंने कहा, हम कृषि कानून लाए थे, लेकिन कुछ लोग इससे खुश नहीं थे.. हम एक कदम पीछे चले गए और अब हम आगे बढ़ेंगे (कृषि कानूनों पर)। उनके बयान की विपक्ष ने आलोचना की थी, जिसके बाद तोमर ने रविवार को स्पष्ट किया कि सरकार के पास कृषि सुधार कानूनों को वापस लाने का कोई प्रस्ताव या योजना नहीं है।
हालांकि एआईकेएस ने कहा, भारत के किसान और मजदूर वर्ग इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। पीएम मोदी कॉर्पोरेट की सरकार, कॉर्पोरेट द्वारा और कॉर्पोरेट के लिए का प्रतिनिधित्व करते हैं। कानूनों की वापसी के खिलाफ देशभर में शक्तिशाली संघर्ष होंगे। यह याद दिलाते हुए कि एसकेएम ने तीन कृषि अधिनियमों को निरस्त करने के संदर्भ में संघर्ष को वापस नहीं लिया है, लेकिन संघर्ष को स्थगित कर दिया है।बयान में कहा गया है, 15 जनवरी को एसकेएम की अगली बैठक आगे चर्चा करेगी और कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना, बिजली (निजीकरण) विधेयक को वापस लेना और गृह राज्य मंत्री अजय कुमार टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी सहित शेष मांगों पर संघर्ष जारी रखने पर निर्णय लेगी।
(आईएएनएस)