MP Politics: राज्यपाल से बोले कमलनाथ- विधायकों के बंधन मुक्त होने पर ही फ्लोर टेस्ट का औचित्य
MP Politics: राज्यपाल से बोले कमलनाथ- विधायकों के बंधन मुक्त होने पर ही फ्लोर टेस्ट का औचित्य
- विधायकों के बंधन मुक्त होने पर ही फ्लोर टेस्ट का औचित्य : कमल नाथ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वर्तमान स्थितियों को लेकर राज्यपाल लालजी टंडन को सोमवार को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि, जब तक विधायक बंदिश से बाहर नहीं आ जाते और पूर्ण रूप से दबाव मुक्त नहीं होते, तब तक फ्लोर टेस्ट कराने का कोई औचित्य नहीं है।
"वर्तमान समय में फ्लोर टेस्ट कराना अलोकतांत्रिक"
गौरतलब है कि, राज्यपाल लालजी टंडन ने बीते दो दिनों में मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही थी, इसी का मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छह पेज का पत्र लिख कर जवाब दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन को भेजे गए पत्र में कहा है कि, राज्य के विधायक कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में भाजपा द्वारा रखे गए हैं और उन्हें तरह-तरह के बयान देने को मजबूर किया जा रहा है। इस स्थिति में फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं है। इस बात से पहले ही आपको अवगत करा चुका हूं। ऐसा कराया जाना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक भी होगा।
मुख्यमंत्री कमलनाथ जी का राज्यपाल को पत्र:
— MP Congress (@INCMP) March 16, 2020
मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा की कार्यप्रणाली के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट किया है।
मुझे आशा और विश्वास है कि महामहिम विधि एवं संविधान के अनुरूप ही आगे कार्य करेंगे : कमलनाथ pic.twitter.com/M51Ss0PWTC
कमलनाथ ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि, फ्लोर टेस्ट का तभी औचित्य है जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हो तथा पूर्ण रूप से दबाव मुक्त हो। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व में 13 मार्च को राज्यपाल को लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए कहा है कि मैंने आपको अवगत कराया था कि भाजपा द्वारा कांग्रेस पार्टी के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखा गया है।
मध्य प्रदेश: कोरोना से कमलनाथ सरकार को राहत ! नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट, 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित
राज्यपाल ने पूर्व में लिखे पत्र में कहा था कि उन्हें प्रथम दृष्टया लगता है कि यह सरकार अल्पमत में है, बहुमत खो चुकी है। इसका जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को लिखा है कि आपके द्वारा सरकार के बहुमत खो देने की बात से ऐसा प्रतीत होता है कि, आपने भाजपा से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऐसा मान लिया है। इस संबंध में विधिक प्रावधान स्पष्ट है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री से पृथक हुए ऐसे किसी समूह का संज्ञान नहीं ले सकते जो संविधान की अनुसूची 10 में वर्णित मापदंड दो तिहाई बहुमत को पूरा नहीं करते है। मुख्यमंत्री ने छह पेज के अपने पत्र में न्यायालयों के कई फैसलों और मुख्यमंत्री व विधानसभाध्यक्ष की शक्तियों का भी जिक्र किया है।