सियासी घमासान: बागी विधायकों से मिलने पहुंचे जीतू पटवारी, पुलिस से झड़प के बाद बोले- क्या दोस्तों से मिलना गुनाह है?
सियासी घमासान: बागी विधायकों से मिलने पहुंचे जीतू पटवारी, पुलिस से झड़प के बाद बोले- क्या दोस्तों से मिलना गुनाह है?
- मंत्री जीतू पटवारी और लखन सिंह की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्ता को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। गुरुवार को बेंगलुरू में सिंधिया समर्थक विधायकों को मनाने गए कमलनाथ कैबिनेट के मंत्री जीतू पटवारी और लाखन सिंह के साथ पुलिस की झड़प हो गई। इसके बाद कर्नाटक पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया। हालांकि बाद में उन्हें पुलिस ने छोड़ दिया। जीतू पटवारी ने बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि क्या दोस्तों से मिलना गुनाह है? वहीं कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने आरोप लगाया कि मंत्री पटवारी के साथ पुलिस ने मारपीट की है।
क्या कहा पटवारी ने?
जीतू पटवारी ने कहा- मैं अपने चचेरे भाई मनोज चौधरी से मिलने के लिए यहां पर आया था, लेकिन हमें रोक दिया गया। कांग्रेस के कुछ अन्य विधायक भी हमसे मिलना चाहते थे जिन्हें यहां पर रखा गया है। पटवारी ने कहा कि हम अपने दोस्तों से मिलना चाहते हैं तो क्या यह गुनाह है? क्यों नहीं मिलने दिया जा रहा है? भला हो शिवकुमारजी का, उन्होंने हमें पुलिस की गिरफ्तारी से बचाया। पटवारी ने कहा कि जिन विधायकों ने 15 साल तक संघर्ष किया उन पर भावनात्मक दबाव डालकर उनके फोन ले लिए गए। पटवारी ने कहा कि सिंधिया तो राज्यसभा चले जाएंगे, लेकिन इन विधायकों का क्या होगा?
कांग्रेस विधायकों को बीजेपी ने बनाया बंधक-दिग्विजय
उधर, कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने कहा "कांग्रेस के विधायकों को भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक पुलिस के द्वारा बंधक बनाया हुआ है। हमारे मंत्रियों जीतू पटवारी और लाखन सिंह के साथ बदतमीजी की जा रही है।" बता दें कि कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले 19 बागी विधायक बेंगलुरू के एंबेसी बुलेवार्ड होटल में ठहरे हुए हैं, जबकि तीन विधायक मध्य प्रदेश में ही है। बागी विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि उसके विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है।
कांग्रेस के पास 92 विधायक
मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन की वजह से ये आंकड़ा फिलहाल 228 का है। कांग्रेस के पास मामूली बहुमत है। अगर 22 विधायकों के इस्तीफों को स्वीकार कर लिया जाता है तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या महज 206 रह जाएगी। ऐसी स्थिति में बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा। वहीं कांग्रेस के पास महज 92 विधायक रह जाएंगे, जबकि बीजेपी के 107 विधायक हैं। कांग्रेस को चार निर्दलीयों, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है। उनके समर्थन के बावजूद कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दूर हो जाएगी।