जमात-ए-इस्लामी ने पीएफआई पर एनआईए, ईडी की छापेमारी पर जताई चिंता

नई दिल्ली जमात-ए-इस्लामी ने पीएफआई पर एनआईए, ईडी की छापेमारी पर जताई चिंता

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-22 14:30 GMT
जमात-ए-इस्लामी ने पीएफआई पर एनआईए, ईडी की छापेमारी पर जताई चिंता
हाईलाइट
  • एनआईए और ईडी ने छापेमारी में नियमों का पालन किया था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) ने बुधवार को पीएफआई कार्यालयों पर छापेमारी और एनआईए और ईडी की कार्रवाई की निंदा की है। मीडिया को दिए एक बयान में जेआईएच के अध्यक्ष सदातुल्ला हुसैनी ने कहा, जमात-ए-इस्लामी हिंद, एनआईए, ईडी द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के कार्यालयों और उनके नेताओं पर की गई छापेमारी को लेकर अत्यधिक चिंतित है। एनआईए जैसी एजेंसियां उन लोगों की जांच करें जिनके खिलाफ उनके पास स्पष्ट सबूत हैं, लेकिन ऐसी कार्रवाइयां राजनीति से ओत प्रोत दिखती है।

यह पूछे जाने पर कि क्या एनआईए और ईडी ने छापेमारी में नियमों का पालन किया था, उन्होंने कहा कि जिस तरह से एनआईए और ईडी ने पीएफआई को निशाना बनाकर देश भर में एक साथ छापेमारी की है, वह हमारे समाज के लिए जवाब देने के लिए कई सवाल उठाता है। आगे उन्होंने कहा कि- एनआईए, ईडी, सीबीआई और पुलिस जैसी विभिन्न राज्य एजेंसियों के माध्यम से पिछले कुछ सालों में विपक्षी समूहों और नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा कई कार्रवाइयां ऑपरेशन संदिग्ध हो जाती हैं। यह हमारे लोकतांत्रिक लोकाचार को आहत करता है और सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना करने और उनका मूल्यांकन करने के नागरिकों के अधिकारों को खतरे में डालता है।

उन्होंने कहा, कार्रवाई इसलिए भी संदिग्ध हो जाती है क्योंकि खुले तौर पर नफरत फैलाने वाले और हिंसा में लिप्त कई समूहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसलिए, ये छापे समाज के लिए असहज सवाल खड़े करते हैं। हुसैनी ने पूछा कि क्या छापे का मतलब एक विशेष समुदाय को खुश करना है, और अगर ऐसा है, तो क्या यह तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति नहीं है?

आगे उन्होंने कहा कि, जमात-ए-इस्लामी हिंद ऐसे सभी छापे और कार्रवाइयों की निंदा करता है जिनमें लोगों को अन्यायपूर्ण तरीके से उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता है, भले ही वह समाज के किसी भी सामाजिक वर्ग के हों। अगर राज्य एजेंसियां बिना सबूत और औचित्य के पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्रवाई कर रही हैं, तो यह एक न्यायपूर्ण समाज के लिए अच्छा नहीं है। जमात-ए-इस्लामी हिंद कभी भी नफरत और हिंसा का समर्थन नहीं करता है और इसकी स्पष्ट रूप से निंदा करता है।

(आईएएनएस)

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