IUML ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों की नागरिकता के लिए गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग
IUML ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों की नागरिकता के लिए गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
- गृह मंत्रालय की ओर से मंगाए गए आवेदनों पर स्टे लगाने की मांग
- गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने मंगलवार को गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से मंगाए गए आवेदनों पर स्टे लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। लंबित CAA मामले में ये आवेदन दायर किया गया है, जिसके जरिए स्टे की मांग की गई है। केंद्र ने शुक्रवार को अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मांगे थे जो अभी गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रहते हैं। इन्हें नागरिकता के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए कहा गया था।
सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट मामले में आवेदन अधिवक्ता हारिस बीरन के माध्यम से दायर किया गया है। इस आवेदन में गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर इस आधार पर आपत्ति दर्ज की गई है कि नागरिकता अधिनियम के प्रावधान धर्म के आधार पर आवेदकों के वर्गीकरण की अनुमति नहीं देते हैं। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अपने आवेदन में तर्क दिया है कि यदि चुनौती दी गई अधिसूचना/आदेश के तहत नागरिकता प्रदान की जाती है, और बाद में सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया जाता है, तो वर्तमान आदेश के अनुसार इन व्यक्तियों की नागरिकता वापस लेना एक कठिन कार्य होगा और लागू करना लगभग असंभव है।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन में सिटिजनशिप एक्ट 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के आधार पर आदेश के तुरंत पालन की बात कही थी। इसके बावजूद की 2019 में सरकार की ओर से पास किए गए सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट के तहत नियमों को अब तक तैयार नहीं किया गया है। सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट के अनुसार, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
गृह मंत्रालय ने कहा कि शरणार्थियों के आवेदन का सत्यापन राज्य के सचिव (गृह) या जिले के डीएम करेंगे। नागरिकता के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर अप्लाई करना होगा। वहीं डीएम या राज्य के गृह सचिव केंद्र के नियमों के अनुसार एक ऑनलाइन और लिखित रजिस्टर बनाएंगे, जिसमें भारत के नागरिक के रूप में शरणार्थियों के रजिस्ट्रेशन की जानकारी होगी। इसकी एक प्रति केंद्र सरकार को सात दिनों के भीतर भेजना होगा।
किन-किन जिलों में रह रहे शर्णार्थी?
भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र शर्णार्थी वर्तमान में गुजरात के मोरबी, राजकोट, पाटन और वडोदरा, छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बलौदा बाजार, राजस्थान के जालोर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर और सिरोही, हरियाणा के फरीदाबाद और पंजाब के जालंधर में रह रहे हैं।