तुर्की में होनी है रूस और यूक्रेन की अगली बैठक, पीएम मोदी चाहें तो सुझा सकते हैं नया रास्ता, चीन और पाकिस्तान पर भाड़ी पड़ेगा दांव!
रूस यूक्रेन विवाद, मोदी कर सकते हैं बड़ी पहल तुर्की में होनी है रूस और यूक्रेन की अगली बैठक, पीएम मोदी चाहें तो सुझा सकते हैं नया रास्ता, चीन और पाकिस्तान पर भाड़ी पड़ेगा दांव!
- भारत इस मामले में हमेशा ही तटस्थ रहा है
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली, राजा वर्मा। रुस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है आज इस जंग का 13 वां दिन है। फिर भी यह कह पाना संभव नही है कि यह युद्ध कब समाप्त होगा। हांलाकि यूक्रेन और रूस दोनों ही देश इस जंग को रोकना चाहते हैं। एक ओर भले ही दोनों देश आमने सामने की लड़ाई लड़ रहे है वहीं दूसरी ओर बातचीत का दौर जारी है। लेकिन अभी भी कोई हल नहीं निकल पाया है।
दोनों ही देश जानते है कि इस युद्ध ने अगर भयानक रूप ले लिया तो यूक्रेन को तबाही का मंजर देखना पड़ सकता है वहीं रूस को दुनिया के कई देशों से और अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। इस युद्ध का असर दुनिया में कई संकट पैदा कर सकता है।
भारत पर टिकी दुनिया की निगाहें
इस युद्ध को रोकने के लिए दुनिया के कुछ देश आगे तो आए है लेकिन कुछ खास असर देखने को नहीं मिला है। इस बीच दुनिया की निगाहें भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहीं है। दुनिया यह मानती है कि भारत इस मामले में हमेशा ही तटस्थ रहा है और बातचीत से हल निकालने की बात कहता रहा है।
तुर्की में हो सकता है मुलाकात
दैनिक भास्कर अखबार में छपे वरिष्ठ लेखक वेद प्रकाश वैदिक के लेख के अनुसार भारत ही एक ऐसा देश है जो चाहे तो रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। चीन भी यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थता की पहल करने लगा है। अभी बेलारूस में दोनों ही देशों के अधिकारियों के बीच बातचीत हो रही है। इसी बीच खबरें यह भी है कि दोनों ही देशों के विदेशमंत्री तुर्की में मुलाकात कर सकते है। तुर्की नाटो देश का सदस्य है लेकिन रूस और यूक्रेन के साथ भी उसके अच्छे संबध है। तुर्की वह देश है जिसने रूसी सेना के यूक्रेन पर हमले की निंदा तो कि पर रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधो का विरोध भी किया है।
तुर्की और चीन से आगे निकल सकता है भारत
लेकिन वेद प्रकाश वैदिक का मानना है कि भारत चाहे तो तुर्की और चीन से आगे निकल कर शांति संवाद करने मुख्य भूमिका निभा सकता है। अपने लेख में वैदिक ने बताया है कि इस युद्ध में यूक्रेन और रूस के अलावा अमेरिका भी कहीं न कहीं शामिल है। क्योंकि यूक्रेन जिसके दम पर रूस से सीधे टक्कर लेना की बात कर रहा था उसके पीछे अमेरिका ही था। अमेरिका चीन की मध्यस्थता पर सशंकित रहेगा।
नरेंद्र मोदी पहले ही दे चुके बातचीत पर जोर
लेकिन भारत के वर्तमान समय में रूस और अमेरिका दोनों से ही मजबूत संबध है। यूक्रेन पहले ही भारत भूमिका के बारे में बात कह चुका है। इसलिए अगर भारत मध्यस्थता करता है तो किसी भी देश को कोई दिक्कत नहीं हो सकती है। हांलाकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति से बात करते हुए प्रेरित कर चुके है। भारत दिल्ली में रूस यूक्रेन और अमेरिका के विदेशमंत्रियों के आपस में बातचीत करवाकर युद्ध को रोकने का काम करवा सकता है।