आलिया भट्ट ही नहीं आम इंसान की बिना बताए फोटो खींचना भी है बड़ा अपराध, प्राइवेसी में दखल देने वालों को आप इस तरह दिलवा सकते हैं सख्त सजा

निजता के हनन पर सख्त 'एससी' आलिया भट्ट ही नहीं आम इंसान की बिना बताए फोटो खींचना भी है बड़ा अपराध, प्राइवेसी में दखल देने वालों को आप इस तरह दिलवा सकते हैं सख्त सजा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-22 09:55 GMT
आलिया भट्ट ही नहीं आम इंसान की बिना बताए फोटो खींचना भी है बड़ा अपराध, प्राइवेसी में दखल देने वालों को आप इस तरह दिलवा सकते हैं सख्त सजा
हाईलाइट
  • कब लग सकता है निजता का हनन ?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड की यंग सुपरस्टार आलिया भट्टा अपनी एक्टिंग और खूबसूरती के लिए हमेशा से ही लाइम लाइट में बनी रहती हैं। इस बार वह एक मीडिया पोर्टल के द्वारा खींची गई तस्वीर को लेकर चर्चाओं में बनी हुई हैं। फोटो में एक्ट्रेस को घर के अंदर आराम करते हुए देखा जा सकता है। इस फोटो के बाहर आ जाने के बाद से ही बॉलीवुड सेलेब्स इस पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं। इनमें अनुष्का शर्मा, अर्जुन कपूर, करण जौहर और जाह्नवी कपूर जैसे कई बड़े सुपरस्टार शामिल हैं। इन सभी ने मीडिया पोर्टल पर "निजता का हनन" का आरोप लगाया है। अब सवाल उठता है कि ये निजता का हनन होता क्या है? और ये किन परिस्थितियों में व्यक्ति पर लग सकता है। आप चाहें कितनी भी बड़ी शख्सियत क्यों न हो आप पर कार्रवाई की जा सकती है।

क्या है निजता का हनन?

निजता का हनन उसे कहते हैं जिसकी वजह से किसी भी व्यक्ति को अपने प्राइवेसी को खोना पड़े। व्यक्ति विशेष की वजह से उसे किसी मुश्किलों में पड़ना पड़े या वह व्यक्ति अपनी निजी जिंदगी को अपने तक ही सीमित रखना चाहता हो।


कब लग सकता है निजता का हनन ?

  • किसी से पूछे बिना उसके मोबाईल या फोन टैपिंग करना, चाहें पुलिस या फिर सरकार ही क्यों न हो, यह कहकर नहीं बच सकती कि सुरक्षा की दृष्टी से फोन टैपिंग हुई।
  • किसी की इजाजत के बिना फोटो खींचना।
  • घर या रूम में किसी भी प्रकार की तांकाझांकी करना।
  • ऐसी कोई बात करना सार्वजनिक तौर पर जो किसी व्यक्ति की प्राइवेसी को सीधेतौर पर इफेक्ट करती हो।
  • किसी की जिंदगी में क्या चल रहा है, बेवजह तांकाझांकी करना ये भी निजता के हनन के अधीन आता है।

 सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

साल 2017 में निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मान लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों वाली संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया था। पीठ में तत्कालिन मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस आर.के. अग्रवाल, जस्टिस आर.एफ़. नरीमन, जस्टिस ए.एम. सप्रे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे। पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है।

इन मामलों में कार्रवाई की जा सकती है

  • गोपनीयता को सार्वजनिक करना
  • प्रतिष्ठा को नुकसान
  • मानसिक रूप से प्रताड़ित करना
  • शांति भंग करना
Tags:    

Similar News