अगर 5 राज्यों का एग्जिट पोल सही साबित हुआ तो देखने को मिलेंगे ये संकेत

अगर 5 राज्यों का एग्जिट पोल सही साबित हुआ तो देखने को मिलेंगे ये संकेत

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-08 05:34 GMT
अगर 5 राज्यों का एग्जिट पोल सही साबित हुआ तो देखने को मिलेंगे ये संकेत
हाईलाइट
  • एग्जिट पोल के परिणाम सही होने पर देखने को मिलेगा असर
  • एग्जिट पोल ने साफ की पांच राज्यों की तस्वीर
  • सत्ता बदलाव के असार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एग्जिट पोल ने पांच राज्यों में भाजपा-कांग्रेस की स्थिति को साफ कर दिया है। अब इंतजार 11 दिसंबर को होने वाली मतगणना का है। जब पांच राज्यों की तस्वीर साफ हो जाएगी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पांज राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे हैं। ऐसे में ये नतीजे 2019 के चुनाव की दशा-दिशा और जनता का मूड भी सामने रखेंगे। अब यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि अगर 11 दिसंबर को आने वाले नतीजे एग्जिपोट के मुताबिक होते है तो उसका का क्या प्रभाव पड़ेगा। 

राहुल गांधी की बहुत बड़ी सफलता 
अगर नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक आते है, तो इसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जाएगा। पांच राज्यों में से अगर तीन राज्यों में भी कांग्रेस अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है, तो इसे कांग्रेस के लिए संजीवनी माना जा सकता है। जिसकी कांग्रेस को सख्त जरूरत थी। इस नतीजों से 2019 से पहले राहुल गांधी स्थापित होंगे और विपक्षी दलों के बीच उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। 

ब्रांड मोदी पर असर? 
पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों में जाकर रैलियां की और राजस्थान में तो पूरा जोर लगा दिया था। बीजेपी भी पूरे प्रचार में इसी पर फोकस कर रही थी कि 2019 में फिर से मोदी को लाने के लिए इन राज्यों में बीजेपी की जीत जरूरी है। अगर एग्जिट पोल के मुताबिक नतीजे आए और पांच राज्यों में से तीन में कांग्रेस की सरकार बनी तो यह मोदी की उस अजेय इमेज को बुरी तरह तोड़ेगा जो इमेज बीजेपी दिखाने की कोशिश करती रही है।

शीतकालीन सत्र में विपक्ष होगा आक्रामक 
11 दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। ऐसे में एग्जिट पोल के नतीजे विपक्ष के लिए ऑक्सिजन का काम कर सकते हैं। अगर यही नतीजे आए तो संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के आक्रामक तेवर दिखेंगे। कांग्रेस फिर से सेंटर पॉइंट में दिखेगी और विपक्षी एकता की धुरी बनने की फिर एक कोशिश हो सकती है। 


बीजेपी का जवाब क्या राम मंदिर होगा? 
अब तक बीजेपी के लोग विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की बात करते रहे हैं और लोकसभा चुनाव में इसी पर लड़ने की बात कहते हैं। हालांकि एग्जिट पोल सही रहा तो बीजेपी को अपने लिए नया एजेंडा तलाशना होगा। ऐसे में बीजेपी क्या फिर से राममंदिर पर ही उम्मीद करेगी और फिर हिंदुत्व का बिगुल बजाएगी, 11 दिसंबर को इसका जवाब मिल जाएगा।

क्षेत्रीय पार्टियों की विफलता 
एग्जिट पोल्स के संकेत बता रहे हैं कि एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में छोटे और क्षेत्रीय दलों को कोई बड़ी सफलता नहीं मिलेगी। मध्यप्रदेश में सपाक्स, आम आदमी पार्टी, बसपा, सपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी समेत कई पार्टियों ने चुनाव लड़ा है, लेकिन एग्जिट पोल में इनकी विफलता साफ नजर आ रही है। हालांकि ये दल कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुश्किलें जरूर खड़ी कर रहे हैं। जिन राज्यों में कांटे की टक्कर है वहां इनको मिला वोट किसी का गेम बना रहा है तो बिगाड़ भी रहा है। 

वसुंधरा राजे का नेतृत्व बेअसर
राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण से लेकर प्रचार-प्रसार, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव और पार्टी के नेतृत्व तक सीएम वसुंधरा राजे ने केन्द्रीय नेतृत्व को चुनौती दी। इस बीच वसुंधरा के खिलाफ नाराजगी की बात भी सामने आती रही। उन्हें हटाने की भी चर्चा हुई लेकिन केंद्रीय नेतृत्व को चुनौती देते हुए वह जमी रहीं। अब एग्जिट पोल के नतीजे उनके खिलाफ दिख रहे हैं, अगर सही हुए तो उनके नेतृत्व पर सवाल उठेंगे। पार्टी उन्हें हटा भी सकती है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह चुनाव में वसुंधरा के नेतृत्व का बेअसर होना हो सकता है। 

MP में एंटी-इनकम्बेंसी का फेक्टर
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह की लोकप्रियता बरकरार है। कुछ एग्जिट पोल मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती दिखा रहे है तो कुछ एग्जिट पोल में 50-50 वाली स्थिति बन रही है। अगर एमपी में बीजेपी असफल होती है तो उसका यही संदेश है कि लोगों में बदलाव की चाहत लोकप्रियता और कई जनकल्याणकारी योजनाओं पर भारी पड़ी। बता दें कि 15 सालों से मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और कांग्रेस सत्ता से बाहर बैठी है। 

छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्ज बड़ा फैक्टर
एग्जिट पोल के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। अगर छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस अपनी सरकार बना लेती है तो इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह राज्य में बेरोजगारी, किसानों की कर्जमाफी और जनता के अंदर बदलाव की इच्छा होगी।

तेलंगाना में गठबंधन का प्रयोग विफल 
तेलंगाना में TRS के खिलाफ कांग्रेस ने बड़े गठबंधन का प्रयोग किया है। जिसमें चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली TDP शामिल है। लेकिन नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक आते है तो कांग्रेस के गठबंधन प्रयोग पर सबसे बड़ा सवाल खड़ा होगा। 2019 से पहले आम चुनाव में इस गठबंधन के भविष्य पर भी असर पड़ सकता है। केसीआर का समय पूर्व चुनाव कराने का दांव भी सही लगता दिख रहा है। 

कांग्रेस के हाथ से निकला सकता है नॉर्थ ईस्ट में
एग्जिट पोल के मुताबिक मिजोरम राज्य कांग्रेस के साथ से निकलता दिखाई पड़ रहा है। कांग्रेस अपने किसी राज्य को बचा पाने में  सफल नहीं हुई और भले ही BJP से सत्ता छीन रही हो लेकिन अपनी सत्ता बचाने में असफल होने के यह भी मायने हैं कि कांग्रेस का नॉर्थ ईस्ट में जनाधार लगातार घटता जा रहा है। 

 

 

 

 

 

 

 

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