Explainer: जानिए कैसे काम करती है DRDO की एंटी कोविड ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज?
Explainer: जानिए कैसे काम करती है DRDO की एंटी कोविड ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज?
- डीआरडीओ की दवा वायरस की एनर्जी बंद कर देती है
- भारत ने बनाई कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए गेम चेंजर दवा
- ये दवा ऑक्सीजन की निर्भरता को भी कम करती है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को स्वदेशी रूप से विकसित 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज या "2-डीजी" का पहला बैच रिलीज किया किया। 2-डीजी एंटी-कोविड-19 ड्रग है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 1 मई को मध्यम से गंभीर कोविड-19 रोगियों में सहायक चिकित्सा के रूप में आपातकालीन उपयोग के लिए फॉर्मूलेशन को मंजूरी दी थी।
ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करती है दवा
2-DG को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) ने हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज (DRL) के सहयोग से डेवलप किया है। गवर्नमेंट रिलीज के अनुसार, क्लीनिकल ट्रायल डेटा से पता चलता है कि मॉलिक्यूल कोविड-19 से पीड़ित मरीजों की फास्टर रिकवरी में मदद करता है। ये दवा ऑक्सीजन की निर्भरता को भी कम करती है।
2.5 दिन पहले ठीक हुए मरीज
तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान जिन मरीजों को तय दवाओं के साथ DRDO की दवा 2-DG दी गई उनके कोरोना के लक्षणों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई। ऐसे मरीज बाकी मरीजों के मुकाबले 2.5 दिन पहले ठीक हुए। तीसरे दिन उनमें से 42% मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। 65 साल से अधिक उम्र के कोरोना मरीजों में भी यही नतीजे मिले। इन नतीजों के बूते ही -DG को गेम चेंजर कहा जा रहा है।
कैसे काम करती है 2-DG?
यह दवा शरीर में कोरोना से संक्रमित सेल्स में जमा हो जाती है। ग्लूकोज के धोखे में कोरोनावायरस इस दवा का इस्तेमाल करने लगते हैं। इस तरह वायरस को एनर्जी मिलना बंद हो जाती है और उनका वायरल सिंथेसिस बंद हो जाता है। यानी नए वायरस बनना बंद जाते हैं और बाकी वायरस भी मर जाते हैं। असल में यह दवा कैंसर के इलाज के लिए तैयार की जा रही थी। चूंकि यह केवल संक्रमित कोशिका में भर जाती है, इसके इस गुण के चलते केवल कैंसर-ग्रस्त कोशिकाओं को मारने की सोच से यह दवा तैयार की जा रही थी।
जेनेरिक मॉलिक्यूल से बनी है दवा
यह दवा जेनेरिक मॉलिक्यूल से बनी है। जेनेरिक होने की वजह से इस पर पेटेंट लागू नहीं होता और इसे भरपूर मात्रा में बनाया जा सकता है। दवा का दाम भी कम रहता है। जेनेरिक दवा में ब्रांडेड मूल दवा जैसे सभी गुण होते हैं। कच्चे माल के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहने की जरुरत नहीं है। आम ग्लूकोज की तरह यह दवा सैशे (पाउच) में पाउडर के रूप में मिलेगी। इसे पानी में मिलाकर मरीज को देना होगा।