मलिक की बयानबाजी पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार
वानखेड़े को बड़ा झटका मलिक की बयानबाजी पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार
- ज्ञानदेव की मांग थी कि नवाब मलिक को उनके परिवार के खिलाफ बयान देने से रोका जाए
- नवाब मालिक को राइट टू स्पीच के अधिकार के तहत बोलने का अधिकार है
- हाई कोर्ट ने नवाब मलिक को भी यह हिदायत दी है
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एंटी ड्रग्स एजेंसी (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े को आज बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा। ज्ञानदेव की मांग थी कि नवाब मलिक को उनके परिवार के खिलाफ बयान देने से रोका जाए लेकिन कोर्ट ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया। वानखेड़े की याचिका पर अदालत ने कहा कि डिफिडेंट (नवाब मालिक ) को राइट टू स्पीच का अधिकार के तहत बोलने का अधिकार है।
मुंबई हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस माधव जामदार ने कहा, ''वानखेड़े एक सरकारी अधिकारी हैं और मलिक द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप एनसीबी क्षेत्रीय निदेशक के सार्वजनिक कर्तव्यों से संबंधित गतिविधियों से संबंधित थे, इसलिए मंत्री को उनके खिलाफ कोई भी बयान देने से पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।"
साथ ही हाई कोर्ट ने नवाब मलिक को भी यह हिदायत दी है कि वह पोस्ट कर सकते हैं। लेकिन पूरी तरह से वेरिफिकेशन/वेरीफाई के बाद ही कुछ भी पोस्ट करें।
हाई कोर्ट ने आगे कहा जो आरोप नवाब मालिक द्वारा लगाए गए है, वो पूरी तरह से गलत हैं, ये कहना इस स्टेज पर सही नहीं होगा।
इस मामले की सुनवाई अब अगले माह 20 दिसंबर को की जाएगी। इस आदेश की खुशी नवाब ने एक ट्वीट के जरिये जाहिर की है। उन्होंने लिखा, ''सत्यमेव जयते। अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।''
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर वसूली, जाति प्रमाण पत्र में गड़बड़ी समेत कई आरोप लगाए हैं। हालांकि, समीर वानखेड़े कई मौकों पर इन आरोपों का खंडन कर चुके है।
वानखेड़े के पिता ने कोर्ट से की थी यह मांग
ज्ञानदेव वानखेड़े ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय में मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें अन्य बातों के अलावा, मंत्री को उनके और उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक बयान पोस्ट करने से रोकने का अनुरोध किया गया था। ज्ञानदेव वानखेड़े ने 1.25 करोड़ रुपये का हर्जाना भी मांगा है।