गुजरात: सूरत में प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की मांग को लेकर पथराव किया, पुलिस ने भांजी लाठियां
गुजरात: सूरत में प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की मांग को लेकर पथराव किया, पुलिस ने भांजी लाठियां
डिजिटल डेस्क, सूरत। देश में कोरोना वायरस महासंकट के बीच आज (शनिवार) से लॉकडाउन का तीसरा फेज शुरू हो चुका है। इसके साथ ही देशभर में राज्य सरकारें दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने का काम कर रही हैं। इस बीच सोमवार को गुजरात के सूरत में प्रवासी मजदूरों ने अपने राज्य वापस जाने के लिए किसी तरह की यातायात सुविधा न मिलने पर हंगामा कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने लॉकडाउन के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन किया। इस दौरान मजदूरों ने पथराव भी किया। उग्र होती मजदूरों की भीड़ का देखते हुए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागे।
एक प्रवासी मजदूर ने कहा कि बिहार का रहने वाला हूं यहां मील में काम करता हूं। अभी तक हमें मार्च की पगार भी नहीं मिली है। खाने का ठिकाना नहीं है, सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है। पुलिस वाला आता है, मारता है, डराता है और चला जाता है।
#WATCH सूरत, प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य वापिस जाने के लिए किसी तरह की यातायात सुविधा न मिलने पर उन्होंने हंगामा किया। उन्होंने लॉकडाउन के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन किया। #गुजरात pic.twitter.com/uj6gBc5EQ6
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 4, 2020
#WATCH Gujarat: A clash erupts between migrant workers police in Surat. The workers are demanding that they be sent back to their native places. pic.twitter.com/aiMvjHGukY
— ANI (@ANI) May 4, 2020
इससे पहले डायमंड बोर्स में किया था हंगामा
बता दें कि खाजोड़ में तैयार की जा रही एशिया की सबसे बड़ी डायमंड बोर्स में 28 अप्रैल को काम कर रहे मजदूरों ने जमकर हंगामा किया था। यहां डायमंड बोर्स में करीब 4 हजार मजदूर काम कर रहे हैं। लॉकडाउन के बावजूद काम लिए जाने से मजदूरों में गुस्सा है। मजदूरों ने बोर्स के कार्यालय पर पथराव और तोड़फोड़ कर दी थी। मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है। वे घर भेजे जाने की मांग कर रहे थे।
मजदूरों ने 10 अप्रैल को भी किया था हंगामा
प्रवासी मजदूर सूरत में 10 अप्रैल को हंगामा कर चुके हैं। मजदूरों का आरोप था कि उन्हें पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है। कोरोनावायरस संकट के दौरान वे यहां असुरक्षित हैं। तब किसी तरह पुलिस ने मजदूरों को समझाकर शांत किया था।