कुंभ 2019:हर श्रद्धालु के लिए खुले अक्षयवट के द्वार, सबसे पहले CM योगी ने की पूजा-अर्चना
कुंभ 2019:हर श्रद्धालु के लिए खुले अक्षयवट के द्वार, सबसे पहले CM योगी ने की पूजा-अर्चना
- योगी ने विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया
- अब तक सेना के कब्जे में था इलाका
- योगी ने लगाई अक्षयवट की परिक्रमा
डिजिटल डेस्क, प्रयागराज। कुंभ मेले में अक्षयवट का द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए गुरुवार से खोल दिया गया है। सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां पहुंचकर पूजा-अर्चना की और अक्षयवट की परिक्रमा भी लगाई। सीएम यहां से सरस्वती कूप गए और सरस्वती मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में भी हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री योगी ने विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया। वो अरेल क्षेत्र के त्रिवेणी पुष्प भी पहुंचे थे। उन्होंने संस्कृति विभाग के चित्रों का अवलोकन किया।
सीएम ने पश्चिमी छोर पर खुल्दाबाद क्षेत्र में बने खुसरोबाग का भी लोकार्पण किया। इस क्षेत्र में पौधरोपण, लैंडस्केप, प्रवेश मार्ग का सौंदर्यीकरण और दो फाउंटेन का निर्माण भी किया जाएगा। बता दें कि सरकार ने 1264.10 लाख रुपए की लागत से इस पार्क का सौंदर्यीकरण कराया है। इस मौके पर योगी ने कहा कि द्वादस माधौ में से एक अक्षय वट के द्वार खोलने से परंपराएं आगे बढ़ेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर को अक्षयवट के द्वार खोलने का ऐलान किया था। अक्षय वट को सेना की मदद से खोला गया है।
क्यों है अक्षय वट का महत्व?
अक्षय वट प्रयागराज में अकबर के किले में स्थित है। मान्यताओं के मुताबिक लोग मोक्ष की कामना कर पेड़ पर चढ़कर यमुना में छलांग लगा देते थे, इसलिए अकबर ने इस किले को बंद कर दिया था। भारत में ब्रिटिशर्स के समय किले पर भी उनका राज हो गया था। आजादी के बाद से ये किला सेना के कब्जे में रहा है। यहां पूजा-अर्चना करना भी सेना के पुजारी का ही काम है। लंबे समय से इसे आम लोगों के लिए खोलने की मांग की जा रही थी। पिछले महीने दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अक्षय वट और सरस्वती कूप को खोलने पर सहमति जताई थी। सरस्वती कूप के बारे में एक प्रथा प्रचलित है कि सरस्वती नदी यहां से ही जाकर गंगा-यमुना में मिल जाती है।