कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के बजट आवंटन में 2018-19 से लगातार कमी की जा रही है

संसदीय समिति ने जताई नाराजगी कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के बजट आवंटन में 2018-19 से लगातार कमी की जा रही है

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-15 15:07 GMT
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के बजट आवंटन में 2018-19 से लगातार कमी की जा रही है
हाईलाइट
  • कोविड-19 की वजह से बजट एस्टिमेट में 15 प्रतिशत की कमी की गई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में रिकॉर्ड अनुसंधान से नई फसल किस्मों को विकसित करने में उपलब्धि हासिल करने को लेकर केन्द्र सरकार जहां एक ओर अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं दूसरी तरफ जिसके बदौलत यह उपलब्धि हासिल हुई है, उस विभाग को आर्थिक रुप से कमजोर भी कर रही है। कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण की संसदीय समिति की रिपोर्ट इस बात का खुलासा करती है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों से कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के बजट आवंटन में लगातार कटौती की जा रही है।

रिपोर्ट कहती है कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग द्वारा जो प्रस्ताव भेजा जा रहा है, उसकी तुलना में कम फंड आवंटित किया जा रहा है। विभाग ने 2020-21 के अनुमानित बजट के लिए 10,650.17 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन विभाग को केवल 8362.52 करोड़ रुपए ही आवंटित किए गए। जबकि 2021-22 में 10,241 करोड़ के प्रस्ताव के मुकाबले 8513.62 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। इतना ही नहीं जब 2020-21 का बजट रिवाइज किया गया तो आवंटित बजट में भी घटा कर 7762.38 करोड़ रुपए कर दिया गया।

कमेटी ने नाराजगी जताई कि विभाग के बजट आवंटन में 2018-19 से लगातार कमी की जा रही है, पिछले तीन साल से एस्टिमेट बजट में भी कटौती की गई। कोविड-19 की वजह से बजट एस्टिमेट में 15 प्रतिशत की कमी की गई और यह कमी केवल अनुसंधान आवंटन में की गई। कमेटी ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाए।

योजनाओं की मदों पर होने वाले खर्च में भी की कटौती

समिति ने कहा कि विभाग को जो कुल फंड आवंटित हुआ है, उसमें से 70 से 75 फीसदी फंड वेतन और पेंशन पर खर्च किया जा रहा है, जबकि शेष 25 से 30 प्रतिशत फंड अलग-अलग योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है। 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में वेतन और अन्य स्थापना व्यय में वृद्धि की गई, जबकि स्कीम पर होने वाले खर्च में कमी की गई है।

2020-21 में योजनाओं के मदों पर पर होने वाले खर्च का अनुमानित बजट 2729 करोड़ रुपए था, लेकिन बजट रिवाइज करते वक्त इसे घटा कर 2305 करोड़ रुपए कर दिया गया। इतना ही नहीं 2021-22 में इस मद पर होने वाले खर्च घटा कर 2686 करोड़ रुपए कर दिया गया, जो पिछले तीन साल के मुकाबले सबसे कम था। रिपोर्ट कहती है कि पिछले तीन सालों में बजट आवंटन में 55 फीसदी से भी अधिक की कमी की गई है।

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