रघुराम राजन ने की राहुल के 'न्याय' की तारीफ, कहा- योजना लागू करने लायक

रघुराम राजन ने की राहुल के 'न्याय' की तारीफ, कहा- योजना लागू करने लायक

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-28 06:25 GMT
रघुराम राजन ने की राहुल के 'न्याय' की तारीफ, कहा- योजना लागू करने लायक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कांग्रेस की न्यूनतम आय गारंटी योजना की तारीफ की है। उन्होंने कहा, यह योजना लागू करने लायक है। इसके साथ ही रघुराम राजन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस दावे की भी पुष्टि की है जिसमें राहुल ने कहा था, न्यूनतम आय गारंटी के लिए उनसे सलाह ली गई है। 


गरीबों को मिलेंगे 72 हजार रुपए 
दरअसल 25 मार्च को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया था, अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो देश के 20 प्रतिशत गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये सीधे खाते में दिये जाएंगे। इससे करीब 5 करोड़ गरीबों को लाभ मिलेगा। राहुल गांधी ने जयपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, हमने न्यूनतम आय गारंटी के संबंध में पूर्व गवर्नर रघुराम राजन समेत बड़े अर्थशास्त्रियों से 6 महीने तक बात की।
 

"योजना के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनाने की जरूरत"
कांग्रेस की इस योजना पर 3.6 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी, जो भारत के राजकोषीय घाटे का तीन गुना, रक्षा बजट का छह गुना और कॉरपोरेट टैक्स से होने वाली आय का दोगुना है। हालांकि अन्य अर्थशास्त्रियों और नीति नियंताओं ने कांग्रेस की इस योजना पर सवाल खड़े किए हैं, जबकि रघुराम राजन का कहना है, इस योजना के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, उन योजनाओं के लिए गुंजाइश बनाने की जरूरत है, जो वास्तव में असरदार हैं।


"स्कीम लागू करना क्रांतिकारी कदम होगा"
रघुराम राजन ने कहा, अगर कांग्रेस पार्टी इस स्कीम को सही तरीके से लागू करती है तो ये क्रांतिकारी कदम होगा। लोगों को अपने वित्तीय फैसले लेने की आजादी मिलेगी। गरीबी पर सीधा हमला होगा और देश में गरीबी की परिभाषा ही बदल जाएगी। हालांकि उन्होंने ये भी कहा, इस तरह के खर्च के लिए भारत का वर्तमान वित्तीय ढांचा पूरी तरह तैयार नहीं है। चुनाव के बाद सरकार को चाहिए कि वित्तीय ढांचे को देखते हुए इस स्कीम का फिर से आंकलन किया जाए।


न्यूनतम सरकार- कारगर प्रशासन पर उठाए सवाल
रघुराम राजन ने बुधवार को मोदी सरकार के ‘न्यूनतम सरकार- कारगर प्रशासन’ के वादे पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, मोदी के शासन में सरकार ने बिना किसी अंकुश के अधिक ताकत हासिल की और इस दौरान कई तरह की अक्षमतायें पैदा हुईं। इस तरह के शासन से सरकार पर निर्भर और कमजोर निजी क्षेत्र के सामने कोई विकल्प नहीं रह गया और उसे सरकार की हर तरह के फैसले की प्रशंसा और ताली बजाने पर मजबूर होना पड़ा।


"नौकरशाही पर निर्भर रहे हैं"
अपनी एक पुस्तक ‘द थर्ड पिलर’ के अनावरण के मौके पर राजन ने कहा, सवाल यह खड़ा होता है कि हम न्यूनतम सरकार- कारगर प्रशासन के वादे पर कितना खरा उतरे हैं? मेरा मानना है कि हम लगातार बाबुओं और नौकरशाही पर ही लगातार अधिक से अधिक निर्भर रहे हैं। आपको बता दें कि रघुराम राजन सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे हैं। उसके बाद से वह अमेरिका की शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे हैं।


 

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