मुफ्ती, अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया, कश्मीर की शांति हो सकती थी भंग
मुफ्ती, अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया, कश्मीर की शांति हो सकती थी भंग
- दोनों नेताओं की गतिविधियों से कश्मीर की शांति भंग होने की संभावना थी
- महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को हिरासत में ले लिया गया है
- श्रीनगर के एक गेस्ट हाउस में दोनों नेताओं को हिरासत में रखा गया है
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के राज्यसभा से पास होने के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हिरासत में ले लिया गया है। उमर और महबूबा दोनों राज्य के प्रमुख राजनीतिक नेताओं में से हैं, जिन्हें 4 अगस्त की देर रात घर में नजरबंद कर दिया गया था। इसका प्रभावी रूप से मतलब था कि उन्हें अपने घरों से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अब उन्हें श्रीनगर के एक गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया है।
एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट की ओर से जारी आदेश के अनुसार, महबूबा को तत्काल प्रभाव से प्रिवेंटिव डिटेंशन (हिरासत) में ले लिया गया है। आदेश में कहा गया है कि "उनकी गतिविधियों से कश्मीर की शांति भंग होने की संभावना है। इसीलिए एतियातन कदम उठाते हुए महबूबा मुफ्ती को अगले आदेश तक हरि निवास में शिफ्ट किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन, इमरान अंसारी सहित कुछ अन्य नेताओं को भी हिरासत में लिया गया है।
इससे पहले दिन में, महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिए जाने पर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला था। मुफ्ती ने कहा था "आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन है। जम्मू-कश्मीर के नेतृत्व ने 1947 में भारत के साथ जाने का जो फैसला लिया था, वो गलत साबित हो गया। सरकार का अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है।"
उमर अब्दुल्ला ने कहा था अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को निरस्त किया जाना राज्य के विलय पर मूलभूत सवाल खड़े करता है, क्योंकि यह इन अनुच्छेदों में शामिल शर्तों के आधार पर ही किया गया था। यह फैसले एकतरफा, अवैध एवं असंवैधानिक हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस इन्हें चुनौती देगी। आगे लंबी एवं मुश्किल जंग होने वाली है। हम उसके लिए तैयार हैं।
बता दें कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के मकसद से कारावास को प्रिवेंटिव डिटेंशन कहा जाता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22 (3) यह प्रदान करता है कि, अगर किसी व्यक्ति को प्रिवेंटिव डिटेंशन प्रदान करने वाले कानून के तहत गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है, तो अनुच्छेद 22 (1) और 22 (2) के तहत गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ सुरक्षा उपलब्ध नहीं होगी।