जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए 2021 का साल शांति और हिंसा के बीच मिला जुला रहा

अलविदा 2021 जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए 2021 का साल शांति और हिंसा के बीच मिला जुला रहा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-26 16:39 GMT
जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए 2021 का साल शांति और हिंसा के बीच मिला जुला रहा
हाईलाइट
  • वर्ष 2020 और 2019 की तुलना में 2021 के दौरान घुसपैठ के स्तर में कमी देखने को मिली

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू -कश्मीर के लोगों के लिए 2021 का साल हिंसा और शांति के बीच मिला जुला रहा और यह एक मिश्रित गुलदस्ता माना जा सकता है जिसमें अच्छी और बुरी दोनों ही तरह की यादें हैं। इस वर्ष की सबसे बड़ी सकारात्मक बात यह रही कि केंद्र शासित प्रदेश में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के करीब रहने वाले हजारों लोगों के जीवन में शांति का माहौल रहा और उन्हें पाकिस्तान की तरफ से होने वाली अकारण गोलाबारी को नहीं झेलना पड़ा।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के दौरान एलओसी और आईबी के करीब के गांवों के लोगों को ही खामियाजा भुगतना पड़ता है। उनका जीवन और आजीविका दोनों सीमा पार से दागे गए गोलों पर टिका हुआ है। इस तरह की गोलीबारी में मानव जीवन के नुकसान, घरों के नष्ट होने और मवेशियों के मारे जाने तथा खेतों में खड़ी फसलों के नष्ट होने की बात है तो इसका खामियाजा इन्हीं गांवों के लोगों को भुगतना पड़ता है और इस बात को यहां के बाशिंदे अच्छी तरह बता सकते हैं।

लेकिन दोनों देशों की सेनाओं द्वारा लिए गए निर्णय के लिए ये लोग इस बात के तहेदिल से शुक्रगुजार है कि 2021 सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के लिए शांतिपूर्ण वर्ष रहा है। नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाओं में कमी आने से 2021 में सीमावर्ती गांवों में जनजीवन सामान्य रहा। जम्मू-कश्मीर के राजौरी, पुंछ, बारामूला और कुपवाड़ा ,कठुआ, सांबा, जम्मू के कई गांवों में बच्चों ने स्कूलों का रूख किया और लोगों ने बिना किसी झिझक के अपने मवेशियों को चरने के लिए छोड़ दिया और महिला तथा पुरूष कृषि कार्यों में लगे रहे।

वर्ष 2020 और 2019 की तुलना में 2021 के दौरान घुसपैठ के स्तर में कमी देखने को मिली क्योंकि सतर्क सैनिकों ने सीमाओं पर चौबीसों घंटे निगरानी रखी। घाटी में अलगाववादी हिंसा ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया और इस वर्ष जिस बात ने गंभीर चिंता पैदा की है, वह दक्षिण कश्मीर के बजाय मध्य कश्मीर, विशेष रूप से श्रीनगर शहर में आतंकवादी गतिविधियों में इजाफा होना है। वर्ष 2021 में, श्रीनगर शहर और उसके आसपास मुठभेड और गोलीबारी की लगभग 20 घटनाएं हुई । इस साल दिसंबर तक शहर में सात पुलिसकर्मियों और 14 आतंकवादियों समेत करीब 34 लोग मारे गए थे। इस घटना को इस लिहाज से भी गंभीरता से लिया जा सकता है क्योंकि श्रीनगर को अक्टूबर 2020 में आतंकवाद मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया था जहां स्थानीय युवकों की कोई भर्ती इस काम के लिए नहीं की गई थी

कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का मुख्य फोकस नागरिकों और स्थानीय पुलिस के सदस्यों को निशाना बनाना रहा है। वर्ष 2021 में मारे गए नागरिकों में कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने स्थानीय पंडितों के बड़े पैमाने पर पलायन के बावजूद अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ रहने का विकल्प चुना था। इस कड़ी में सम्मानित स्थानीय फार्मासिस्ट एम.एल. बिंदरू, एक सिख स्कूल प्रिंसिपल, एक हिंदू ढाबा मालिक का बेटा, बिहार और उत्तर प्रदेश से यहां काम करने आए मजदूर , एक गैर-स्थानीय बढ़ई और छह अन्य मजदूरों को आतंकवादियों ने मार डाला था। इस पूरी कवायद का मक सद लोगों में आतंक और डर का माहौल पैदा करना था।

आतंकवादियों ने स्थानीय पुलिसकर्मियों, यहां तक कि यातायात ड्यूटी करने वाले जवानों को भी निशाना बनाया जिससे यह साबित हो गया है कि आतंकवाद विरोधी अभियानों में स्थानीय पुलिस बल की भागीदारी ने आतंकवादियों की राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित किया है। आतंकवादियों ने पुलिसकर्मियों और निहत्थे नागरिकों को निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और श्रीनगर के बाहरी जीवान इलाके में पुलिस कर्मियों को ले जा रही एक पुलिस बस पर गोलीबारी के अलावा कोई बड़ा हमला करने में सफल नहीं हो सके थे।

आतंकवादियों ने 13 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर सशस्त्र पुलिस बल की एक बस को निशाना बनाया था और इस हमले में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और 14 घायल हो गए। इस हमले को सुरक्षा बलों पर इस वर्ष का बड़ा हमला माना जा सकता है। सुरक्षा बलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर इस वर्ष आतंकवादियों के खिलाफ समन्वित अभियान चलाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 186 आतंकवादी मारे गए। श्रीनगर शहर के हैदरपोरा इलाके में 15 नवंबर को आतंकवादियों के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान तीन नागरिक मारे गए थे।

शुरू में अधिकारियों ने कहा कि मारे गए लोग आतंकवादी थे और उस आधार पर उन्हें कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा शहर में उनके परिजनों की गैर मौजूदगी में दफनाया गया था। लेकिन बाद में सबूतों से पुष्टि हुई कि वे नागरिक थे और मुठभेड़ के दौरान उस समय मारे गए थे जब सुरक्षा बलों ने इस इमारत को निशाना बनाया था। लगभग तीन वर्षों के बाद, 2021 में मुख्यधारा की पार्टियों में राजनीतिक सुगबुगाहट देखी गई है क्योंकि 2022 की शुरूआत में विधानसभा चुनावों की चर्चा जोर पकड़ रही है।

परिसीमन आयोग ने विधानसभा में 7 सीटों को बढ़ाने के लिए मसौदा प्रस्ताव पेश किया है जिसमें से 6 जम्मू संभाग के सांबा, कठुआ, रियासी, किश्तवाड़, डोडा और राजौरी जिलों में आएंगी, जबकि कश्मीर घाटी को कुपवाड़ा जिले में एक अतिरिक्त सीट मिलेगी। पहली बार, परिसीमन आयोग ने अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया है, जिन्हें 90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 9 सीटें मिलेंगी और अनुसूचित जातियों को छह सीटें मिलेंगी।

(आईएएनएस)

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