हिंसा समाधान नहीं है, नुकसान हमारे देश का ही होगा, कानून को वापस लो, : राहुल गांधी
हिंसा समाधान नहीं है, नुकसान हमारे देश का ही होगा, कानून को वापस लो, : राहुल गांधी
डिजिटल डेस्क ( भोपाल)। किसान की ट्रेक्टर रैली के बेकाबू हो जाने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है और इस कानून को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुकसान हमारे देश का ही होगा। देशहित के लिए कृषि-विरोधी कानून वापस लो! ...। उल्लेखनीय है कि आंदोलनकारी किसान लालकिले तक पहुंच गए हैं और पुलिस उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।
हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 26, 2021
देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!
गणतंत्र दिवस पर आयोजित किसानों का ट्रैक्टर मार्च बेकाबू हो गया है और मार्च में शामिल किसान लाल किला में दाखिल हो गए हैं। लाल किला पर राष्ट्रीय ध्वज उतारकर किसानों ने पीले रंग का झंडा लगा दिया। देश की राजधानी सीमाओं पर मंगलवार को स्थित विभिन्न धरना स्थलों से रवाना हुई किसानों की ट्रैक्टर रैली निर्धारित रूटों की सीमाओं को तोड़ते हुए आईटीओ और लाल किला पहुंच गई। लाल किला परिसर में भारी तादाद में किसान जमा हो गए। इससे पहले ट्रैक्टर रैली निर्धारित रूटों की सीमा तोड़ कर भीतरी रिंग रोड होते हुए आईटीओ के पास पहुंच गई जहां प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
दिल्ली की सीमाओं पर बीते दो महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों को गणतंत्र किसान परेड निकालने के लिए जो रूट और समय तय किए गए थे उसकी अवहेलना करते हुए किसान समय से पहले टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर लगे बैरीकेड को तोड़ते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में प्रवेश कर गए।
आईटीआई के पास पहुंचे किसानों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागे गए। सिंघु बॉर्डर से जो ट्रैक्टर रैली में किसानों की जो टुकड़ी चली थी वह भीतरी रिंगरोड की तरफ बढ़ गई और गाजीपुर बॉर्डर वाली टुकड़ी आईटीओ की तरफ बढ़ गई।
गुजरात से कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया कि, हिंसा किसी भी आंदोलन का हल नहीं है लेकिन सरकार को शांतिपूर्ण आंदोलन का हल निकालना चाहिए था। किसान पिछले दो महीने से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, तब किसानों को उल्लू बनाया जा रहा था। अभी के हालात में किसान नहीं असामाजिक लोग शामिल है, क्योंकि सरकार किसानों को बदनाम करना चाहती हैं।