इकोनाेमी: भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेत, दिसंबर में मैन्युफैक्चरिंग PMI 52.7 पर पहुंची

इकोनाेमी: भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेत, दिसंबर में मैन्युफैक्चरिंग PMI 52.7 पर पहुंची

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-02 16:56 GMT
इकोनाेमी: भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेत, दिसंबर में मैन्युफैक्चरिंग PMI 52.7 पर पहुंची
हाईलाइट
  • जुलाई के बाद नए कारोबार ऑर्डर सबसे तेज गति से बढ़े हैं
  • नए कारोबारी ऑर्डर विनिर्माण क्षेत्र की हालत में सुधार को दर्शा रहे
  • लगातार 26वें महीने नए निर्यात ऑर्डर में वृद्धि हुई है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नए साल की शुरुआत के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत मिले हैं। एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार साल 2019 के आखिरी माह यानी दिसंबर में देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार हुआ है। इससे रोजगार के मोर्चे पर भी सुधार हुआ है। कारखानों के नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी की वजह से देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार देखने को मिला है। नवंबर 2019 में आईएचएस मार्केट इंडिया का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक 51.2 पर था, जो दिसंबर महीने में बढ़कर 52.7 पर पहुंच गया।

वैश्विक स्तर पर अधिक मांग से कुल बिक्री बढ़ी
मासिक सर्वेक्षण के अनुसार जुलाई के बाद नए कारोबार ऑर्डर सबसे तेज गति से बढ़े हैं और नए कारोबारी ऑर्डर विनिर्माण क्षेत्र की हालत में सुधार को दर्शाते हैं। इतना ही नहीं, वैश्विक स्तर पर अधिक मांग से कुल बिक्री बढ़ी है। लगातार 26वें महीने नए निर्यात ऑर्डर में वृद्धि हुई है।

कारखानों ने मांग में सुधार का लाभ उठाया
इस संदर्भ में IHS मार्केट की प्रधान अर्थशास्त्री पोलियाना डी लीमा ने कहा कि कारखानों ने मांग में सुधार का लाभ उठाया और मई माह के बाद सबसे तेजी से उत्पादन को बढ़ाया है। साथ ही दिसंबर में रोजगार और खरीद के मोर्चे पर भी नए सिरे से बढोतरी हई है। लीमा ने आगे बताया कि सर्वेक्षण में कारोबारी विश्वास के मोर्चे पर कुछ सतर्कता दिखाई दी है।

लगातार 29वें महीने विनिर्माण क्षेत्र का PMI 50 से ऊपर
बता दें कि लगातार 29वें महीने विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 50 अंक से ऊपर है। पीएमआई का 50 से ऊपर होना विस्तार के संकेत देते हैं। वहीं 50 से नीचे का स्तर संकुचन को दर्शाता है। सर्वेक्षण के अनुसार, साल 2020 में उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि कंपनियों का आगे के बाजार को लेकर आत्मविश्वास का स्तर कमजोर होकर 34 महीने के निम्न स्तर पर है। मुद्रास्फीति की दर 13 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

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