Embarrassing: श्रमिक Special Train की बाथरूम चार दिन सड़ता रहा मजदूर का शव, किसी को भनक तक नहीं लगी

Embarrassing: श्रमिक Special Train की बाथरूम चार दिन सड़ता रहा मजदूर का शव, किसी को भनक तक नहीं लगी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-03 12:49 GMT
Embarrassing: श्रमिक Special Train की बाथरूम चार दिन सड़ता रहा मजदूर का शव, किसी को भनक तक नहीं लगी

डिजिटल डेस्क, झांसी। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मजदूरों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब उत्तर प्रदेश के झांसी में  ट्रेन में श्रमिक मजदूर की मौत का मामला सामने आया है। खास बात ये रही कि मजदूर का शव ट्रेन में चार दिन तक सड़ता रहा, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगीं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में बस्ती के रहने वाले मोहनलाल शर्मा 23 मई को झांसी से गोरखपुर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बैठे थे। ट्रेन गोरखपुर जाकर चार दिन बाद झांसी लौट आई, लेकिन मोहनलाल अपने घर नहीं पहुंचे। झांसी रेलवे यार्ड में ट्रेन की सफाई के दौरान सफाईकर्मियों ने ट्रेन के शौचालय में एक सड़ी लाश देखी। तब जाकर पता चला कि ये शव मोहनलाल की थी। यह त्रासदी अकेले मोहनलाल के साथ नहीं हुई बल्कि श्रमिक ट्रेनों में यात्रा करने वाले कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर मौतें किन वजहों से हुईं, ये सवाल वैसे ही रहस्य बना हुआ है जैसे मोहनलाल शर्मा की मौत का।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक झांसी में राजकीय रेलवे पुलिस के डीएसपी नईम खान मंसूरी ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में किसी तरह की बाहरी चोट नहीं लगी है। विसरा जांच के लिए भेजा गया है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि मौत किस वजह से हुई है।जिस श्रमिक ट्रेन में मोहनलाल बैठे थे उसे अगले दिन गोरखपुर पहुंचना था और फिर उसी दिन वहां से वापस आना था, लेकिन दो दिन की यात्रा को ट्रेन ने चार दिन में पूरा किया। यह वैसे ही था जैसे कई अन्य श्रमिक ट्रेनें कई-कई दिनों में अपनी निर्धारित दूरियां पूरी कर रही हैं और कई बार रास्ता भी भटक रही हैं। हालांकि रेलवे मंत्रालय इसे रास्ता भटकना नहीं, बल्कि डायवर्जन बता रहा है। 

रेल अधिकारी बोले- कोई जानकारी नहीं
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि मोहनलाल के पास 23 तारीख का गोरखपुर का टिकट था लेकिन यह नहीं मालूम कि वो इसी ट्रेन से गए थे या फिर किसी और ट्रेन से। उन्होंने बताया कि हमने जिला प्रशासन और पुलिस को इसकी सूचना दे दी और उन्हें बॉडी हैंडओवर कर दी। उसके बाद पोस्टमॉर्टम कराने से लेकर सारा काम उनका था। यहां तक कैसे आए, इसी ट्रेन से गए थे या दूसरी ट्रेन से, इन सब बातों की पुष्टि नहीं हो पाई है। ट्रेन के जिस शौचालय में उनका मृत शरीर पड़ा मिला, वो अंदर से बंद था।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट- 24 मई को हो गई थी मौत
वहीं मामले में डीएसपी नईम खान मंसूरी ने बताया कि पोस्टमॉर्टम से पता चलता है कि उनकी मौत करीब 4 दिन पहले, यानी 24 मई को हो गई थी। मोहनलाल के पास से उनका आधार कार्ड, कुछ अन्य सामान और 27 हजार रुपए भी मिले थे।

10 साल का बेटा और 5 साल की बेटी छोड़ गए मोहनलाल, पत्नी बोली किसी ने कोई मदद नहीं ​की
मोहनलाल शर्मा के परिवार में उनकी पत्नी और चार छोटे बच्चे हैं। सबसे बड़ा बेटा 10 साल का और सबसे छोटी बेटी पांच साल की। मोहनलाल मुंबई में रहकर एक प्राइवेट गाड़ी चलाते थे और लॉकडाउन के बाद उन्हीं परिस्थितियों में मुंबई से वापस अपने घर आ रहे थे।मोहनलाल शर्मा की पत्नी पूजा ने बताया कि 23 तारीख को उनका फोन आया था कि हम ट्रेन में बैठ चुके हैं। उसके बाद फोन बंद हो गया और हम लोगों की बात नहीं हो पाई। 28 तारीख को फोन आया कि झांसी में उनकी लाश मिली है। उसके बाद हम लोग वहां गए। उनकी पत्नी पूजा रोते हुए बताती हैं कि झांसी में पुलिस वालों ने ही उनका अंतिम संस्कार करा दिया, फिर हम लोग घर चले आए। कोई पूछने तक नहीं आया और न ही हमको किसी से कोई मदद मिली है।

यूपी में 25 से 27 मई के बीच 9 मजदूरों ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में दम तोड़ा
उत्तरप्रदेश में 25 मई से 27 मई के बीच कम से 9 श्रमिकों की मौत श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में हुई जबकि देश भर में 9 मई से 27 मई के बीच मृतकों की संख्या 80 थी। रेलवे विभाग इन आंकड़ों की पुष्टि अब तक नहीं कर रहा है, लेकिन ये आंकड़े रेलवे सुरक्षा बल यानी आरपीएफ की ओर से जुटाए गए हैं जो रेलवे में सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एजेंसी है। मरने वालों में ज्यादातर यूपी और बिहार के रहने वाले हैं।

8 घंटे तक शव के साथ की यात्रा
राजस्थान से पश्चिम बंगाल जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में रविवार को एक श्रमिक की मुगलसराय के पास मौत हो गई और साथ जा रहे लोगों ने आठ घंटे तक शव के साथ ही यात्रा की। साथ जा रहे एक यात्री ने बताया कि लोगों में दहशत फैल गई कि कहीं उनकी मौत कोरोना की वजह से तो नहीं हुई, बावजूद इसके लोगों ने पुलिस को सूचना नहीं दी, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं इसकी वजह से उनकी यात्रा और लंबी न हो जाए। साथ जा रहे एक यात्री सरजू दास का कहना था। हम लोगों ने बड़ी मुश्किल से ट्रेन का टिकट लिया था। इसलिए साथी की मौत के बावजूद उनके साथ यात्रा करते रहे और मालदा पहुंचने पर रेलवे पुलिस को सूचना दी गई।


 

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