राहुल का वायनाड से पुराना नाता, पिता राजीव गांधी की अस्थियों को किया था प्रवाहित
राहुल का वायनाड से पुराना नाता, पिता राजीव गांधी की अस्थियों को किया था प्रवाहित
- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अस्थियां वायनाड में प्रवाहित की गई थी।
- वायनाड सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का पुराना रिश्ता
डिजिटल डेस्क, वायनाड। केरल के वायनाड जिले से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके परिवार का भावनात्मक रिश्ता है। इंदिरा गांधी से राजीव गांधी तक सभी को इस जगह से गहरा लगाव रहा है। राहुल गांधी के पिता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अस्थियां वायनाड की पापनाशिनी नदी में प्रवाहित गई थी। साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राहुल गांधी ने केरल के कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरन, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी की मौजूदगी में पिता की अस्थियां पवित्र मानी जाने वाली पापनाशिनी नदी में प्रवाहित की थी।
आज राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के पीछे लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी हार के डार से वायनाड चल गए हैं, लेकिन राहुल गांधी ने वायनाड दूसरी वजह से चुना है। पहली वजह पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी तक का यहां से गहरा लगाव होना। साथ ही उनकी रणनीति यहां से केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक को साधने की भी है। वायनाड से चुनाव लड़ने पर केरल की 20 सीटों के अलावा तमिलनाडु की 39 और कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों पर असर पड़ेगा।
1991 में कांग्रेस नेता के. करुणाकरन ने राजीव गांधी की अस्थियों के जरिए प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया था। राजीव गांधी की सहानुभूति का कांग्रेस को राज्य में जबर्दस्त राजनीतिक फायदा मिला था। 1991 के लोकसभा चुनाव में केरल की कुल 20 सीटों में से कांग्रेस को 13, मुस्लिम लीग को 2, सीपीएम को 3 और अन्य को एक सीट मिली थी। इसी तरह से 1991 के विधानसभा चुनाव में केरल की कुल 140 विधानसभा सीटों में से वामपंथी गठबंधन 50 और कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ को 90 सीटें हासिल कर सत्ता में वापसी की थी।
करीब 28 साल के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उसी सरजमीं को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाने जा रहे हैं, जहां उनके पिता की अस्थियों को विसर्जित किया गया था। मौजूदा समय में कांग्रेस अपने राजनीतिक वजूद की लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में राहुल को केरल की मिट्टी से सियासी फायदे की उम्मीद नजर आ रही है, शायद इसीलिए भी उन्होंने वायनाड को रणभूमि के रूप में चुना है।