आज से नहीं कई सालों से अरुणाचल पर ड्रैगन की बुरी नजर, लद्दाख ही नहीं अरूणाचल प्रदेश को हड़पने के लिए भी चल चुका है कई चालें
भारत-चीन विवाद आज से नहीं कई सालों से अरुणाचल पर ड्रैगन की बुरी नजर, लद्दाख ही नहीं अरूणाचल प्रदेश को हड़पने के लिए भी चल चुका है कई चालें
- झूठी बयानबाजी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन की सेनाओं के बीच में तवांग में हुई झड़प ने एक बार अरुणाचल प्रदेश को लेकर हलचल पैदा करती है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन ड्रैगन अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा है। आपको बता दें भारत और चीन के बीच 3440 किलोमीटर की विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा है। इसी एलएसी पर अरुणाचल प्रदेश आता है जो कि भारत के उत्तर-पूर्व में है।
अरुणाचल प्रदेश की सीमाओं पर दोनों देशों की सेना हमेशा टिकी रहती है। सेनाओं की मौजूदगी इन इलाकों में चर्चा का विषय बनाए रखती है। कुछ दिन पहले पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिक भारतीय सेना के सैनिकों से भिड़ गए। इससे पहले भी चीन ने ऐसी हरकत की है। जब उसके सैनिक भारतीय सैनिकों से भिड़ गए।
अरुणाचल प्रदेश पर चीन झूठे वादे करता है। चीन को यह बर्दाशत नहीं हो पाता है कि भारत, अरुणाचल को अपना हिस्सा बताए। इसी के चलते चीन ने 2006 में अरुणाचल प्रदेश को चीनी राज्य करार दिया था। साल 2006 नवंबर महीने में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ भारत के दौरे पर आने वाले थे। उनके दौरे के ठीक एक हफ्ते पहले चीनी राजदूत सन युक्सी ने अरुणाचल प्रदेश पर दावा ठोंक दिया। युक्सी ने उस दौरान कहा था कि अरुणाचल प्रदेश, चीन की सीमा में आता है। राजदूत युक्सी ने भारतीय चैनल को दिए एक साक्षात्कार में यह बात कही थी। उनके इस बयान ने भारत की टेंशन बढ़ा दी थी।
अरुणाचल पर ड्रैगन की बुरी नजर
1947 में अंग्रेजी हुकूमत से जैसे ही भारत आजाद हुआ, चीन ने अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताते हुए, उस पर बुरी नजर डालना शुरू कर दिया था।
जबकि इतिहास में कहीं दर्ज नहीं है कि अरुणाचल कभी चीन या तिब्बत का हिस्सा रहा है। इसके बावजूद चीन अरुणाचल प्रदेश को लेकर झूठी बयानबाजी करता रहता है। साल 1952 में हुए बांडुंग सम्मेलन में चीन पंचशील सिद्धांतों पर राजी हुआ था। फिर भी चीन अरुणाचल प्रदेश पर आक्रामक बना हुआ है। भारत सरकार का कोई भी प्रतिनिधि जब अरुणाचल प्रदेश जाता है तो चीन तिलमिला जाता है।