पटाखे नहीं दीये जलाए आप सरकार के कई प्रयास नहीं कर सके दिल्ली प्रदूषण को कम

'आप' का आपके लिए प्रयास पटाखे नहीं दीये जलाए आप सरकार के कई प्रयास नहीं कर सके दिल्ली प्रदूषण को कम

Bhaskar Hindi
Update: 2021-11-05 11:16 GMT
पटाखे नहीं दीये जलाए आप सरकार के कई प्रयास नहीं कर सके दिल्ली प्रदूषण को कम
हाईलाइट
  • प्रदूषण पर जनसहयोग की अपील

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए कई नए कदम उठाए है। शुक्रवार को दिवाली पर्व के जश्न के ठीक एक दिन बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण अधिक बढ़ गया जिससे चिंतित होकर दिल्ली सरकार ने अब कई प्रयास तेज कर दिए है। पटाखे पर प्रतिबंध के बावजूद गुरुवार को  शहर में लोगों पर सरकार के प्रयासों और पटाखे नहीं दिए जलाओ अभियान जैसे पहल का कोई असर नहीं पड़ा।              

                                                   

दिवाली के एक दिन बाद बढ़ा प्रदूषण और हवा की गुणवत्ता सरकार की नाकामी को बता रही है औऱ कह रही है कि सरकार के सारे उपाय धरे के धरे रह गए। दिल्ली से सटे इलाकों में पराली जलाए जाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं जो आने वाले समय में गंभीर खतरे की ओर इशारा कर रही हैं। दिल्ली की आप सरकार ने न्यूनतम धूल प्रदूषण सुनिश्चित करना अनिवार्य कर दिया था। बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले शहर में सभी तरह के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक भी लगाई। दिल्ली पुलिस ने पटाखों के खिलाफ 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनके पास से 13,000 किलोग्राम से अधिक पटाखे जब्त किए गए।

एंटी- डस्ट स्मॉग गन

एंटी- डस्ट स्मॉग गन वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक उपकरण है जो वायुमंडल में धूल के साथ अन्य कणों को व्यवस्थित करने के लिए पानी का छिड़काव करता है। वाहन पर लगी पानी की टंकी से 50 मीटर की ऊंचाई तक पानी का छिड़काव करती है। दिल्ली की आप सरकार ने बड़े-बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी डस्टिंग गन लगाना अनिवार्य कर दिया है। औऱ नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना  लगाना भी ।

पराली जलाने की बजाय गलाने का  उपाय
पराली जलाने से निकले धुएं को दिल्ली के प्रदूषण का सबसे बड़ा प्रमुख कारण माना जाता रहा है। अक्तूबर से दिसंबर तक यह राजधानी दिल्ली के लिए प्रमुख समस्या बनी रहती है। दिल्ली की आप सरकार ने पूसा के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पराली को खेतों में ही नष्ट करने का हल ढूंढा था। इसमें किसान पराली को जलाने की बजाय खेतों में ही गलाने का उचित उपाय अपनाया। इससे उनके खेतों की मृदा शक्ति भी बढ़ी और धुएं की समस्या भी कम हुई। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई किसान अभी भी पराली को खेतों में ही जला देते हैं जिससे निकले वाला धुंआ राजधानी को दूषित गैस का गुब्बारा बना रहा है। पडोसी राज्यों के असहयोग के कारण यह उपाय कारगर साबित नहीं हो पाया।    
ई-वाहनों का चलन
दिल्ली की आप सरकार ने देश की राजधानी में ई-वाहनों का चलन बढ़ाने का प्रयास किया है। आप सरकार की कोशिश है कि 2025 तक निकलने वाले सभी वाहनों में न्यूनतम 25 फीसदी ई-वाहन हों जिससे प्रदूषण स्तर में कमी आये। इसके लिए सरकार ने ई-वाहनों की खरीद और रजिस्ट्रेशन में भारी छूट के साथ कई कार्यक्रम आरंभ किए लेकिन  व्यावहारिक सीमाओं के कारण इसकी दर बहुत धीमी है।   

वृक्षारोपण कार्यक्रम पर जगह की कमी
आप सरकार ने दिल्ली में करोड़ों रुपयों की लागत से लाखों पेड़ लगाने का वृक्षारोपण कार्यक्रम शुरू किया। लेकिन दिल्ली में खुली भूमि की कमी के चलते वृक्षारोपण के लिए ज्यादा संभावना नहीं है। 
   

उद्योगों पर लगाम
हवा को साफ़ करने के लिए दिल्ली से प्रदूषणकारी कारखानों को यहां से बाहर निकाल दिया गया। लेकिन ये सभी उद्योग दिल्ली से सटे इलाकों नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में शिफ्ट हो गए। और आज भी ऐसे उद्योग दिल्ली की हवा को प्रदूषित कर रहे हैं। ।  

वाहनों की समस्या
वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का एक मुख्य कारण माना जाता है। निजी वाहनों का प्रयोग कम करके इस समस्या को कम किया जा स इससे पहले दिल्ली सरकार ने कनॉट प्लेस में स्थापित पहले स्मॉग टॉवर ने आसपास के वायु प्रदूषण को 80 प्रतिशत तक कम कर दिया है। 
 
 

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