दलाई लामा बोले- अगर जिन्ना होते भारत के पीएम तो बंटवारा नहीं होता
दलाई लामा बोले- अगर जिन्ना होते भारत के पीएम तो बंटवारा नहीं होता
- अगर गांधीजी की यह इच्छा पूरी हो जाती तो भारत का विभाजन ही नहीं होता।
- तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का बड़ा बयान सामने आया है।
- दलाई लामा ने कहा "महात्मा गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे।
डिजिटल डेस्क, पणजी। भारत की आजादी के बाद हुए बंटवारे का जिम्मेदार कौन था? ये सवाल एक बार फिर उठा है क्योंकि इसे लेकर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का बड़ा बयान सामने आया है। बुधवार को गोवा प्रबंध संस्थान के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 83 वर्षीय दलाई लामा ने बंटवारे के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बताया।
दलाई लामा ने कहा "महात्मा गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन जवाहर लाल नेहरू ने इसके लिए इनकार कर दिया। अगर गांधीजी की यह इच्छा पूरी हो जाती तो भारत का विभाजन ही नहीं होता। पंडित नेहरू काफी अनुभवी और बुद्धिमान थे लेकिन उनसे कुछ गलतियां भी हुईं।""
#WATCH Dalai Lama says, "Mahatma Gandhi ji was very much willing to give Prime Ministership to Jinnah but Pandit Nehru refused." pic.twitter.com/WBzqgdCJaJ
— ANI (@ANI) August 8, 2018
दलाई लामा ने कहा, "मुझे लगता है कि स्वयं को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्म केंद्रित रवैया था। महात्मा गांधी की सोच को यदि स्वीकारा गया होता तो भारत और पाकिस्तान एक होते।" उन्होंने कहा, "मैं पंडित नेहरू को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, वह बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कभी-कभी गलतियां हो जाती हैं।" जिंदगी में सबसे बड़े भय का सामना करने के सवाल पर आध्यात्मिक गुरु ने उस दिन को याद किया जब उन्हें उनके समर्थकों के साथ तिब्बत से निष्कासित कर दिया गया था।
दलाई लामा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि दलाई लामा को इससे पहले इस बारे में बात करनी चाहिए थी और अब इस बात का कोई ज्यादा महत्व नहीं है। स्वामी ने कहा, "ये ऐतिहासिक मुद्दे हैं। यह सच है कि महात्मा गांधी चाहते थे कि जिन्ना प्रधान मंत्री बने, क्योंकि वह अल्पसंख्यक प्रधान मंत्री होते। अंग्रेजों के जाने के बाद उन्हें हटाया जा सकता था, लेकिन यह भी सच है कि जवाहरलाल नेहरू ने केवल अपने बारे में सोचा था। जबकि गांधी केवल यह सोच रहे थे कि अंग्रेजों को कैसे हटाया जा सकता है।