दुनिया में कोरोना ने मचाया उत्पात, फिर भी भारत में नहीं दिखाई देगा नए वैरिएंट का ज्यादा असर, एक्सपर्ट के हवाले से जानिए वजह
कोरोना अलर्ट दुनिया में कोरोना ने मचाया उत्पात, फिर भी भारत में नहीं दिखाई देगा नए वैरिएंट का ज्यादा असर, एक्सपर्ट के हवाले से जानिए वजह
- कोविड टीका का आंकड़ा 220 करोड़ के पार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना एक बार फिर से चीन समेत दुनियाभर के कई देशों में पैर पसारना शुरू कर दिया है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने से लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। जिसके चलते कई देशों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। कोरोना विस्फोट की वजह से चारों ओर डर का माहौल कायम है। भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट रहने के लिए कह दिया है। दुनिया भर के लोगों को फिर से साल 2020 का खौफ सताने लगा है। हालांकि, भारत इससे अछूता रहेगा या फिर कोरोना अपना उतना प्रभाव नहीं दिखा पाएगा? आइए जानने का प्रयास करते हैं।
लग चुके हैं वैक्सीनेशन व बूस्टर डोज
भारत में कोरोना हावी रहेगा या नहीं इसको लेकर लोगों के मन में सवाल उठना शुरू हो गया है। वैसे कोरोना के मामले में भारत की स्थिति वर्तमान समय में काफी अच्छी मानी जा रही है। क्योंकि भारत अभी तक कोविड की तीन लहर झेल चुका है। यहां के लोगों को वैक्सीनेशन के साथ-साथ बूस्टर डोज भी मिल चुका है। जिन लोगों को दोनों डोज मिल चुके हैं, उनको कोरोना से लड़ने की ताकत मिल चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना की लहर भारत में ज्यादा असर नहीं दिखा पाएगी।
बीते 19 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में वैक्सीनेशन का आंकड़ा पेश किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि भारत में कोविड का आंकड़ा 220 करोड़ के पार पहुंच जा चुका है। यह संख्या कोरोना की पहली, दूसरी व बूस्टर डोज को मिलाकर है। स्वास्थ्य मामले के जानकारों की माने तो भारत में कोरोना खतरा नहीं है क्योंकि यहां के लोग पहले से ही वैक्सीनेट हो चुके हैं और लोगों में इम्यूनिटी पैदा हो चुकी है।
नेचरल इन्यूनिटी के मामले में काफी मजबूत
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना संक्रमण से बचाव में नेचरल रोग प्रतिरोधक क्षमता अपना अहम रोल करता है। रिसर्च में दावा किया है कि नेचरल और वैक्सीन दोनों की मिलीजुली हाइब्रिड रोग इम्यूनिटी क्षमता लंबे समय तक टिकाऊ रहती है। भारत में ज्यादा से ज्यादा आबादी कोरोना से लड़ाई लड़ने में सक्षम हो चुकी है। इस वजह से भारतीय नागरिकों में कोरोना के नए वैरिएंट का खतरा कम हो सकता है।