कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को 10 दिनों के भीतर हिरासत में हुई 4 मौतों पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा

पश्चिम बंगाल कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को 10 दिनों के भीतर हिरासत में हुई 4 मौतों पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-06 18:00 GMT
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को 10 दिनों के भीतर हिरासत में हुई 4 मौतों पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा
हाईलाइट
  • संलिप्तता पर संदेह

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को दक्षिण 24 परगना जिले के बरूईपुर सुधार गृह में इस साल जुलाई के अंत और अगस्त की शुरुआत में 10 दिनों के अंदर हुईं चार मौतों पर दो हफ्तों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

पुलिस ने सभी चार पीड़ितों अब्दुल रज्जाक दीवान, जिया-उल-लस्कर, अकबर खान और सैदुल मुंशी को डकैती के प्रयास से संबंधित चार अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया था। बरुईपुर सुधार गृह में न्यायिक हिरासत में 10 दिनों के भीतर उनकी मौत हो गई थी। उनके शरीर पर कथित यातना के निशान भी देखे गए थे। आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा मौतों की जांच शुरू की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, ममता सरकार ने पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया, साथ ही प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को राज्य सरकार की नौकरी भी दी। हालांकि, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की गई थी। एपीडीआर के वकील कौशिक गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई, जिसके बाद बेंच ने राज्य सरकार को अगले दो सप्ताह के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।

एपीडीआर के महासचिव रंजीत सूर ने आईएएनएस को बताया कि एक ही सुधार गृह में हिरासत में मरने वाले सभी अल्पसंख्यक समुदाय से थे, जो मामले में पुलिस की संलिप्तता पर संदेह पैदा करता है। उन्होंने कहा है कि हमें सीआईडी जांच में कोई भरोसा नहीं है, वह कुछ और नहीं बल्कि राज्य पुलिस का एक अंग है। इसलिए, हमने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायिक समिति द्वारा मामले की जांच की मांग की गई है। वहीं राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता एसएन मुखोपाध्याय मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए तय अवधि के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का आश्वासन दिया है।

 

आईएएनएस

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