PROTEST: शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने 70 दिन बाद खोला वैकल्पिक रास्ता, सिर्फ छोटी गाड़ियों के आवागमन की इजाजत
PROTEST: शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने 70 दिन बाद खोला वैकल्पिक रास्ता, सिर्फ छोटी गाड़ियों के आवागमन की इजाजत
- इस रास्ते से कार-बाइक ही जा सकते हैं नोएडा-फरीदाबाद
- वैकल्पिक रास्ता खोलने से स्थानीय लोगों को मिलेगी सहूलियत
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नोएडा और फरीदाबाद जाने वाले एक वैकल्पिक रास्ते को खोल दिया है। करीब 70 दिन बाद खोले गए इस रास्ते पर सिर्फ छोटी गाड़ियां, कार और बाइक के आवागमन की इजाजत दी गई है। इसकी वजह यह है कि यह रास्ता बेहद सकरा है।
डीसीपी (दक्षिण पूर्व नई दिल्ली) ने बताया कि शाहीनबाग के प्रदर्शकारियों के एक ग्रुप ने पहले रोड नंबर 9 को खोल दिया, लेकिन कुछ देर बाद ही दूसरे ग्रुप ने इसे फिर से बंद कर दिया। डीसीपी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने शाहीन बाग वाले मुख्य रास्ते को नहीं खोला है। सिर्फ एक वैकल्पिक रास्ते को खोला है। प्रदर्शनकारियों द्वारा इस रास्ते को खोलने से स्थानीय लोगों को सहूलियत मिलेगी।
DCP South East: A little earlier today, Road No. 9 was reopened by a group of protestors, but later it was closed by another group. Again, a group of protestors have reopened a small stretch, however, still there"s no clarity if all protestors have consent on this. https://t.co/liFuJoXEZz
— ANI (@ANI) February 22, 2020
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यह रास्ता होली फैमिली, जामिया, बटला हाउस और अबुल फजल होते हुए नोएडा और फरीदाबाद जाता है। यह रास्ता आगे जाकर नोएडा की तरफ तो अच्छा है, लेकिन फरीदाबाद की तरफ जाने वाला रास्ता बेहद संकरा है। हालांकि वापस जाने वाले रास्ते पर अब भी बैरिकेड लगे हैं।
वहीं प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए वार्ताकारों से बातचीत के बाद अबुल फजल वाले रास्ते को खोलने का फैसला लिया गया है। इस संबंध में प्रदर्शनकारियों की दिल्ली पुलिस से कोई बातचीत नहीं हुई है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि रास्ता खोलने को लेकर हमारी प्रदर्शनकारियों से बातचीत नहीं हुई है।
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बता दें, शनिवार सुबह वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन शाहीन बाग पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। वार्ताकारों की कोशिश चौथे दिन रंग लाई और प्रदर्शनकारी उम्मीद का एक रास्ता खोलने को तैयार हो गए।