आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को 'उम्रकैद', बम बनाते समय उड़ गया था हाथ
आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को 'उम्रकैद', बम बनाते समय उड़ गया था हाथ
डिजिटल डेस्क, सोनीपत। हरियाणा के सोनीपत में हुए 21 साल पहले दो बम ब्लास्ट के मामले में मंगलवार को सोनीपत कोर्ट ने आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा के साथ-साथ कोर्ट ने टुंडा पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है। इससे पहले सोमवार को साल 1996 में हुए सोनीपत ब्लास्ट में कोर्ट ने आतंकी टुंडा को दोषी करार दिया था। आतंकी टुंडा को लश्कर-ए-तैयबा का बम एक्सपर्ट माना जाता है।
टुंडा पर क्या थे आरोप?
गौरतलब है कि आतंकी टुंडा पर सोनीपत में साल 1996 में हुए बम धमाकों को लेकर केस चल रहा था। इस मामले में पुलिस ने गाजियाबाद के अब्दुल करीम टुंडा और उसके दो साथी शकील अहमद और मोहम्मद आमिर को नामजद किया। पुलिस ने शकील और कामरान को वर्ष 1998 में गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन टुंडा घटना के बाद से लंबे वक्त तक फरार रहा था। टुंडा पर 28 सितंबर, 1996 में सोनीपत धमाके कराने का आरोप था। इनमें एक धमाका शाम के समय बस स्टैंड के पास जबकि दूसरा धमाका गीता भवन चौक पर किया गया। जिससे दर्जनभर लोग बुरी तरह घायल हुए थे।
कैप्सूल बम बनाने में माहिर है टुंडा
अब्दुल करीम टुंडा कैप्सूल बम बनाने में माहिर है। टुंडा के खालिस्तानी आतंकी कश्मीरा सिंह, बब्बर खालसा, दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद, के चीफ वधावा सिंह जैसे खूंखार और इंटरनेशनल आतंकियों से संबंध हैं।
बम बनाने के दौरान उड़ गया बायां हाथ
बांग्लादेश में बम बनाने के दौरान ब्लास्ट होने से टुंडा का बायां हाथ उड़ गया। तबसे लोग उसे टुंडा के नाम से लोग बुलाने लगे। वह बम बनाने में देसी तकनीक का इस्तेमाल करता था। वह 1985 में आईएसआई से ट्रेनिंग ले चुका था। लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों में उसकी भारी डिमांड थी।
पुराने दिल्ली में था ठिकाना
टुंडा का जन्म पुरानी दिल्ली में 1943 में हुआ था। बाद में उसके पिता ने पुरानी दिल्ली छोड़ दी और पिलखुवा में जाकर बस गए। जब टुंडा की हरकतें बढ़ गईं तो उसके पिता को दिल्ली छोड़नी पड़ी। दिल्ली में उस पर पहला केस चोरी का दर्ज हुआ था। देश के कई इलाकों में उस पर कई केस दर्ज हैं।