नूपुर शर्मा बयान पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ 15 पूर्व जजों ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी, कहा- कोर्ट को अपने बयान में तत्काल सुधार करना चाहिए
नूपुर शर्मा विवाद नूपुर शर्मा बयान पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ 15 पूर्व जजों ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी, कहा- कोर्ट को अपने बयान में तत्काल सुधार करना चाहिए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में नूपूर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर अमर्यादित टिप्पणी के बाद जमकर बवाल हुआ। कई राज्यों में हिंसात्मक प्रदर्शन हुए। यहां तक कि नूपुर शर्मा के बयान पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी जमकर फटकरार लगाई। जिसके बाद देशभर में सर्वोच्च न्यायालय के टिप्पणी के बाद तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई।
इसी कड़ी में अब नूपुर शर्मा के समर्थन में हाईकोर्ट के पूर्व जजों, डीजीपी, सीबीआई निदेशक, राजदूत, सेना अधिकारी सहित समाज के 117 प्रबुद्ध लोग उतर आए हैं। उन्होंने कोर्ट के द्वारा टिप्पणी को गैरजरूरी, स्तब्धकारी और कोर्ट की गरिमा के खिलाफ बताया है। सोमवार को इन सभी ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है और कहै है कि नूपुर शर्मा ने लक्ष्मण रेखा नहीं पार की है।
— Live Law (@LiveLawIndia) July 5, 2022
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर चिट्ठी
देश के 117 प्रबुद्धजनों ने सीजेआई को लिखे पत्र में कहा है कि न्यायपालिका के इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों का कोई तुलना नहीं है। सबसे बड़े लोकतंत्र के न्यायिक सिस्टम पर अमिट निशान है। शीर्ष अदालत को अपने बयान में तत्काल सुधार करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकतांत्रिक मू्ल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं।
हाल ही में नूपूर शर्मा के खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज मामलों को दिल्ली में ट्रांसफर कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। उसी दौरान जज ने टिप्पणी की थी कि देश में जो कुछ चल रहा है, उसकी जिम्मेदार नूपुर हैं। यहां तक कि कोर्ट की तरफ से कहा गया था, उदयपुर हत्याकांड भी नूपुर की बयान की वजह से हुआ है। नूपुर को टीवी पर आकर देश से माफी मांगनी चाहिए।
जानें प्रबुद्धजनों की अपील
नुपुर शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ बयान जारी करने वालों में हाईकोर्ट के 15 रिटायर्ड जज, 77 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स और 25 रिटायर्ड सैन्य अधिकारी शामिल हैं। इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट से नूपुर शर्मा के खिलाफ टिप्पणी वापस लेने की अपील की है।
हस्ताक्षर कर सुप्रीम कोर्ट से अपील करने वालों में बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के श्रीधर राव, दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन ढींगरा और अलग-अलग हाई कोर्ट्स के दूसरे पूर्व जज शामिल हैं। इसके अलावा अन्य सभी लोग शामिल है।
कोर्ट की टिप्पणी ने लक्ष्मण रेखा लांघी
सीजेआई को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि किसी देश का लोकतंत्र तब तक बरकरार रहेगा जब तक सभी संस्थान संविधान के हिसाब से अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। पत्र में लिखा गया कि सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की हालिया टिप्पणियों ने सारे लक्ष्मण रेखा को पार कर दिया और हमें खुला खत लिखने को मजबूर किया। खत में कड़े शब्दों में कहा कि अगर कोर्ट ऐसा नजरिया रखता है तो उसकी तारीफ नहीं की जा सकती है। यह सुप्रीम कोर्ट की पवित्रता और सम्मान को प्रभावित करता है।
नूपूर शर्मा बयान पर टिप्पणी करने वाले जज ने दी थी सलाह
एससी के जज पारदीवाला ने कहा कि संवेदनशील मामलों में सोशल मीडिया पर ट्रायल न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करता है, जो कि अनुचित है। उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि संसद में इसके नियमन के लिए कानून लागा चाहिए। जज ने कहा कि कोर्ट रचनात्मक आलोचनाओं को स्वीकार करती है, लेकिन जजों पर निजी हमले स्वीकार नहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारत पूरी तरह से परिपक्व व शिक्षित लोकतंत्र नहीं हैं। यहां पर विचारों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है। गौरतलब है कि जस्टिस पारदीवाला सीएएन फाउंडेशन की ओर से आयोजित एचआर खन्ना की याद में हो रही संगोष्ठी में अपनी विचार रख रहे थे।