मस्जिद v/s मंदिर: जानिए रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर विदेशी मीडिया ने क्या लिखा?
- नेपाल में क्या छपा?
- कतर ने क्या कहा?
- पाकिस्तानी अखबारों में क्या प्रकाशित ?
डिजिटल डेस्क, अयोध्या। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में आज सोमवार 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा होनी है। यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक चलेगा। प्रतिष्ठा कार्यक्रम के अनुष्ठान को लेकर भारत के पड़ोसी मुल्कों ने क्या लिखा है।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की चर्चा भारत के साथ-साथ विदेशों में भी जमकर हो रही हैं। पाकिस्तानी अखबारों ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर लिखा है कि 'बाबरी मस्जिद ढहाकर बनाए गए राम मंदिर में आज पीएम मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने जा रहे हैं।
नेपाल में क्या छपा?
नेपाल के प्रमुख अखबार 'द काठमांडू पोस्ट' ने लिखा कि मंदिर के उद्घाटन में भगवान राम से भी अधिक जो व्यक्ति लाइमलाइट बटोर रहा है, वो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के प्रधानमंत्री हैं। अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत धर्मनिरपेक्षता के अपने सिद्धांत से बहुत दूर हो चुका है और अयोध्या में भारत की धर्मनिरपेक्षता मिट्टी में मिल गई है।
कतर ने क्या कहा?
इस्लामिक देश कतर के टीवी नेटवर्क अलजजीरा ने एक ऑपिनियन लेख छापा है जिसमें लिखा है कि 'भारत की धर्मनिरपेक्षता भगवा राजनीति के पहाड़ तले दब गई है। भारत की राजनीतिक टिप्पणीकार इंसिया वाहन्वति ने अपने लेख में लिखा है कि धर्मनिरपेक्ष भारत के किसी प्रधानमंत्री का मंदिर का उद्घाटन करना अनुचित है। लेख में 'बाबरी मंदिर का विध्वंस आज भी मुसलमानों के लिए दुखदायी है। विध्वंस के बाद हुए दंगों में जो लोग मारे गए, हममें से कई लोगों को आज भी वो याद हैं। राजनीतिक वादे किए गए कि मस्जिद फिर से बनाया जाएगा लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं।
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक , 32 साल की युसरा हुसैन ने कहा कि जब वह अयोध्या के राम मंदिर में प्रवेश करने के लिए कतार में खड़ी थीं, तब मुझे देखते ही लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाना शुरु कर दिया था। हुसैन ने कहा मुझे वहां आक्रामक विजयवाद की भावना देखने को मिली। जो आज भी मेरे जहन में है। स्वतंत्र पत्रकार हुसैन ने आगे कहा कि उन्हें डर है कि मंदिर की पहली यात्रा पर उन्होंने जो विजयीवाद देखा, वह आने वाले दिनों में और भी भयानक हो सकता है।
पाकिस्तानी अखबारों में क्या प्रकाशित ?
पाकिस्तान के मुख्य न्यूजपेपर 'द डॉन' में लेखक परवेज हुदभोय ने लिखा है कि जहां पहले पांच शताब्दी पुरानी बाबरी मस्जिद हुआ करती थी, अब वहां राम मंदिर बन रहा है। राम मंदिर के चारों तरफ वेटिकन सिटी जैसा शहर बनने को तैयार है। लेख में हिंदुत्व पर वार किए है। लेख में कहा गया है कि 'नए भारत में अब धार्मिक साम्प्रदायिकता घृणा की तरह नहीं मानी जाती है।
पाकिस्तानी अखबार ने आगे लिखा है कि मार्च 2023 में 'जय श्री राम' के नारे लगाती उग्र भीड़ ने एक सदी पुराने मदरसे और प्राचीन लाइब्रेरी को जला दिया था। जिसकी तुलना 12वीं सदी में मुस्लिम आक्रमणकारी, बख्तियार खिलजी से की गई, जिसने नालंदा विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया था जिसमें वहां की विशाल लाइब्रेरी जलकर खाक हो गई। अखबार ने लिखा कि हिंदुत्ववादियों का मदरसे और लाइब्रेरी को जलाना 'जैसे को तैसा' वाली बात थी।
पाकिस्तान के अखबार पाकिस्तान टुडे ने लिखा है कि राम मंदिर शुरु से ही राजनीतिक मुद्दा बना हुआ था। हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर निर्माण का वादा किया था। सोमवार को उस जगह पर एक विशाल मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा जिसे लाखों हिंदू राम का जन्मस्थान मानते हैं। अखबार ने लिखा, 'हिंदू समूह अयोध्या में उद्घाटन समारोह को सदियों से 'मुस्लिम और औपनिवेशिक शक्तियों के अधीन रहने के बाद हिंदू जागृति के रूप में वर्णित कर रहा है। समारोह को मई में होने वाले लोकसभा चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
अखबार ने लिखा है, 16वीं सदी में बनी बाबरी मस्जिद को साल 1992 में हिंदुओं की उग्र भीड़ ने तोड़ दिया था। मस्जिद के स्थान पर हिंदू भगवान राम का जन्मस्थान होने का दावा करते है। सदियों से ये मुद्दा विवाद का केंद्र रहा। मुस्लिमों ने 1528 में एक मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में बाबरी मस्जिद वाली भूमि हिंदुओं को सौंप दी और मुसलमानों को अलग जमीन देने का आदेश दिया था।