अवार्ड: ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे जाएंगे जगद्गुरु रामभद्राचार्य और गुलजार, चयन पैनल ने दी जानकारी
- जगद्गुरु रामभद्राचार्य और गुलजार को दिया जाएगा ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023’
- चयन पैनल ने दी जानकारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उर्दू के मशहूर शायर गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरू रामभद्राचार्य भारतीय ज्ञानपीठ न्यास के सर्वोच्च सम्मान से नवाजे जाएंगे। ये सम्मान है ज्ञानपीठ पुरस्कार। साल 2023 के लिए न्यास ने संस्कृत और उर्दू साहित्य में अतुलनीय योगदान देने वाली इन दो हस्तियों को चुना है। आपको बता दें ज्ञानपीठ पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो अलग अलग भाषाओं में बरसों से काम कर रहे हों. इस पुरस्कार के लिए उन 22 भाषाओं को चुना गया है जो आठवीं अनुसूची में दर्ज हैं। इनसे पहले, साल 2022 में ये पुरस्कार गोवा के लेखक दामोदर मौजो को दिया गया था।
गुलजार हैं गुलजार
उर्दू के बेहतरीन कवियों में से एक गुलजार को पहले भी प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है। इससे पहले गुलजार को 2002 में उर्दू के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, 2013 ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’, 2004 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया है। गुलजार ने कई पुस्तकें भी लिखी हैं। उन में से कुछ प्रसिद्ध पुस्तके हैं। चौरस रात (लघु कथाएँ, 1962), चौरस रात (लघु कथाएं, 1962), जानम (कविता संग्रह, 1963), एक बूंद चांद (कविताएं, 1972), रावी पार (कथा संग्रह, 1997), रात, चांद और मैं (2002), रात पश्मीने की, खराशें (2003) हैं।
रामभद्राचार्य हैं तुलसी पीठ के संस्थापक
रामभद्राचार्या का पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र था। रामभद्राचार्या बचपन में 2 साल के बाद से ही नेत्र विहीन हो गए थे। रामभद्राचार्या ने 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें 22 से अधिक भाषाओं का ज्ञान है। वह एक शिक्षक होने के साथ प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता हैं। उन्हें संस्कृत भाषा में महारत हासिल है। रामभद्राचार्या को 2015 में भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इनके लिखी कुछ साहित्यिक कृतियां हैं। महाकाव्य- श्रीभार्गवराघवीयम् , अष्टावक्र, अरुन्धती , खण्डकाव्य – आजादचन्द्रशेखरचरितम्, लघुरघुवरम्, सरयूलहरी, काका विदुर, गीतकाव्य- राघव गीत गुंजन, भक्ति गीत सुधा, गीतरामायणम्, नाटककाव्य- श्रीराघवाभ्युदयम्, उत्साह, गद्य- श्रीब्रह्मसूत्रेषु श्रीराघवकृपाभाष्यम्, श्रीमद्भगवद्गीतासु श्रीराघवकृपाभाष्यम्, ईशावास्योपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम् व अन्य।