ताकत में इजाफा: सीमा पर आंख गड़ाए बैठे दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देगा भारत का जोरावर, डीआरडीओ ने विकसित किया ताकतवर लाइट टैंक, जानें इसकी खासियत
- भारत में विकसित हुआ लाइट टैंक
- सीमा पर चीन को देगा मुंहतोड़ जवाब
- अप्रेल तक परीक्षण के लिए सेना को सौंपे जाएंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना की ताकत में अब और इजाफा होने वाला है। भारत के पहले स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर का ट्रायल्स शुरु हो चुका है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इसे अप्रेल तक भारतीय सेना को सौंप सकता है। रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, 'अपने नए इंजन के साथ लाइट टैंक को बनाने का काम शुरू हो गया है। टैंक को 100 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक ले जाया गया है। इस साल अप्रैल तक इसे भारतीय सेना को दिए जाने की उम्मीद है। बता दें कि 59 जोरावर लाइट टैंकों के उत्पादन और आपूर्ति का ऑर्डर सेना ने डीआरडीओ को दिया है। इन टैंकों का उत्पादन लार्सन एंड टुब्रो के साथ किया जा रहा है। पहले इसे दिसंबर तक परीक्षण के लिए सेना को सौंपा जाना था। लेकिन जर्मनी से इंजन की आपूर्ति समय पर न होने की वजह से इसमें देरी हुई।
अब चीन की खैर नहीं
जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना इन टैंकों की तैनाती चीन सीमा के पास करने की तैयारी में है। सेना के अधिकारियों के मुताबिक, 'सेना लद्दाख क्षेत्र में अपनी गतिशीलता और युद्धाभ्यास क्षमताओं में सुधार लाने के लिएलाइट टैंक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।' यह टैंक ऊंचाई वाले स्थानों पर भी काम कर सकते हैं। इन्हें दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जा सकता है। साथ ही इसमें खुद हमलों से बचाने में भी सक्षम है।
बता दें कि साल 2020 में ही चीन ने यहां उसके 15 हल्के टैंकों को तैनात किया है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने अपने टी-72 और 90 टैंक तैनात किए थे, लेकिन ज्यादा वजन होने के चलते वह यहां के पहाड़ी इलाकों में प्रभावी ठंग से काम नहीं कर पाए थे। क्योंकि उनको मैदानी इलाकों या रेगिस्तान के हिसाब से डिजाइन किया गया था।
खासियत
जोरावट टैंक की सबसे बड़ी खासियत इसका हल्का वजन है। 25 टन वजनी इस टैंक को 3 लोग ऑपरेट कर सकते हैं। साथ ही इसे आइसलैंड में भी तैनात किया जा सकता है। पूर्ण रुप से भारतीय तकनीक से निर्मित यह टैंक खुद को हमलों से बचाने और जोरदार पलटवार करने में सक्षम है।