भारतीय नौसेना ने की सागर परिक्रमा की तैयारी
- भारतीय नौसेना के सहयोग से सागर परिक्रमा जैसे महत्वपूर्ण मिशन की शुरुआत की जाएगी
- नौसेना की देखरेख में 2 सेवानिवृत्त महिला लेफ्टिनेंट मिशन को अंजाम देंगी
- भारतीय नौसेना नौकायन पोत तारिणी पर जलयात्रा नौकायन अभियान शुरू करने वाली टीम का गठन करेगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के सहयोग से सागर परिक्रमा जैसे महत्वपूर्ण मिशन की शुरुआत की जाएगी। भारतीय नौसेना नौकायन पोत तारिणी पर जलयात्रा नौकायन अभियान शुरू करने वाली टीम का गठन करेगी। नौसेना की देखरेख में 2 सेवानिवृत्त महिला लेफ्टिनेंट मिशन को अंजाम देंगी।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारतीय नौसेना ने 27 अगस्त, 2023 को गोवा में सागर परिक्रमा 4 के लिए अपनी तैयारियों की औपचारिक शुरुआत का संकेत दिया था। उसी के हिस्से के रूप में, महासागर सेलिंग नोड ने कमोडोर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त), अग्रणी नौपरिसंचलनकर्ता और गोल्डन ग्लोब रेस के नायक के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसके तहत कमोडोर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त), दो स्वयंसेवी महिला अधिकारियों, लेफ्टिनेंट कमोडोर दिलना और लेफ्टिनेंट कमोडोर रूपा के सलाहकार और प्रशिक्षक होंगे। वह अगले साल भारतीय नौसेना नौकायन पोत तारिणी पर जलयात्रा नौकायन अभियान शुरू करने वाली टीम का गठन करेंगे। समझौता ज्ञापन पर वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, कार्मिक सेवा नियंत्रक और उपाध्यक्ष, भारतीय नौसेना सेलिंग एसोसिएशन (आईएनएसए) और आरएडीएम राजेश धनखड, कमांडेंट नेवल वॉर कॉलेज की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
इस कार्यक्रम में नौसेना कर्मियों की एक बड़ी भीड़ भी मौजूद थी। वाइस एडमिरल स्वामीनाथन ने दोनों महिला अधिकारियों को उनके प्रभावशाली समुद्री नौकायन करतबों के लिए बधाई दी और सागर परिक्रमा फोर की तैयारी के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी। उन्होंने समुद्री नौकायन प्रयास में दृढ़ समर्थन के लिए भारतीय नौसेना की ओर से कमोडोर अभिलाष टॉमी को भी धन्यवाद दिया। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि आने वाले महीनों में, दोनों महिला अधिकारी कमोडोर टॉमी की देख-रेख में चुनौतीपूर्ण मिशन के लिए कठोर प्रशिक्षण लेंगी। इसमें अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में कई छोटी और लंबी नौकायन यात्राएं शामिल हैं।
कमोडोर टॉमी अन्य नौकायन अभियानों के प्रतिभागियों को भी सलाह देंगे और प्रशिक्षुओं के साथ प्रेरणा देने वाली बातचीत के माध्यम से प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों में अपने अनुभव साझा करेंगे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार सागर परिक्रमा एक ऐसा साहसिक काम होगा जिसका पहले कभी प्रयास नहीं किया गया और यह भारत के समुद्री नौकायन उद्यम में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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