दुश्मन का काल प्रीडेटर ड्रोन: भारत को मिलेगे थल जल नभ नापने वाले एडवांस ड्रोन, थर थर कांपेंगे चीन और पाकिस्तान
- रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में आज चर्चा
- अमेरिका ने भारत को मदद की पेशकश की
- प्रीडेटर ड्रोन सौदे को लेकर कई सालों से चल रही है चर्चा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच प्रीडेटर ड्रोन सौदे को लेकर आज रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में चर्चा और मंजूरी के लिए विचार किया जा सकता है। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में रक्षा अधिग्रहण परिषद की यह पहली बैठक है।, राजनाथ सिंह के नेतृत्व में होने वाली इस बैठक में रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा देने पर फोकस किया जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ड्रोन सौदा तीनों सेनाओं के स्तर पर किया जा रहा है, जिसमें भारतीय नौसेना बातचीत का नेतृत्व कर रही है।
भारत और अमेरिका के बीच यह डील फाइनल हो जाती है तो भारत में उन्नत ड्रोन बनाने में कम समय लगेगा। सूत्रों के मुताबिक इस सौदे में शामिल अमेरिकी फर्म जनरल एटॉमिक्स है, जिसके अधिकारियों ने पिछले कुछ हफ्तों में इसे लेकर भारतीय पक्ष के साथ चर्चा की है। इस उन्नत ड्रोन के भारतीय सेना में शामिल होने से थल, जल नभ में निगरानी और गश्ती क्षमता बढ़ेगी। इससे हिंद महासागर में चीन-पाकिस्तान की हरकतों पर नज़र रखने में काफी मदद मिलेगी। जम्मू कश्मीर में आतंकियों को ढूंढ़ने में मदद मिलेगी।
आपको बता दें अमेरिका ने एडवांस ड्रोन बनाने के लिए भारत को मदद की पेशकश की है। इस डील के तहत भारतीय सेनाओं को 31 MQ 9B प्रीडेटर ड्रोन मिलेंगे। भारत और अमेरिका के बीच इस डील को फाइनल करने के लिए लंबे समय से बातचीत चल रही है। अमेरिका के साथ ड्रोन सौदे के अनुसार 31 MQ-9B ड्रोन खरीदे जा रहे हैं, जिनमें से 15 समुद्री क्षेत्र की कवरेज के लिए होंगे और भारतीय नौसेना इनकी तैनाती करेगी। वहीं वायुसेना और थल सेना के पास ऐसे 8-8 हाईटेक ड्रोन होंगे जो कई अहम स्थानों पर तैनात रहेंगे।
प्रीडेटर ड्रोन दो टाइप के होते हैं, एक है MQ-9B सीगार्जियन और दूसरा है MQ-9B स्काईगार्जियन। जैसा कि इसके नाम से ही दोनों का अंतर भी साफ है, सीगार्जियन समुद्र के ऊपर निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो वहीं स्काईगार्जियन का इस्तेमाल जमीनी क्षेत्र के आसमान में किया जाता है। प्रीडेटर ड्रोन को उड़ान भरने और उतरने के लिए एक लंबे रनवे की जरूरत होती है, जो भारतीय वायु सेना के पास उपलब्ध है।
प्रीडेटर ड्रोन की खासियत
प्रीडेटर ड्रोन की खासियत की बात की जाए तो यह 40 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर 36 घंटे से अधिक देरी तक उड़ान भर सकता है।
निगरानी,सैन्य ऑपरेशन और जासूसी मिशन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
ये ड्रोन एयर टू ग्राउंड मिसाइलों और स्मार्ट बम से लैस हो सकते हैं
यह 1700 किलो से ज्यादा वजन के हथियार लेकर उड़ान भरने की क्षमता रखता है।
सर्विलांस और हमले के लिहाज से बेहतरीन है और हवा से जमीन पर सटीक हमला करने में भी सक्षम है।
नौसेना इससे जमीन पर रखे हथियारों और दुश्मन की पनडुब्बियों को नष्ट कर सकती है।
प्रीडेटर ड्रोन हवाई हमलों को रोकने और मानवीय मदद पहुंचाने का भी काम करने में सक्षम
लॉन्ग रेंज इंटेलिजेंस गैदरिंग और सर्विलांस के लिए भी इस्तेमाल
आपको बता दें इस डील का ऐलान जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान किया गया था। इस ड्रोन सौदे की अनुमानित लागत 4 अरब डॉलर (लगभग 33 हजार करोड़ रुपये) है, लेकिन भारत इसे कम करना चाहता है।