चीनी सेना की वापसी: अगले तीन दिनों में एलएसी पर शुरू हो सकती है भारत और चीन के सैनिकों की पेट्रोलिंग, देपसांग-डेमचोक में अंतिम चरण पर डिसइंगेजमेंट

  • अगले तीन दिनों में एलएसी पर शुरू हो सकती है भारत और चीन के सैनिकों की पेट्रोलिंग
  • देपसांग-डेमचोक में अंतिम चरण पर डिसइंगेजमेंट
  • होती रहेंगी मीटिंग्स

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-28 09:55 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन सीमा पर दोनों देश की सेना 25 अक्टूबर से पीछे हट रही है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, डेमचोक और देपसांग में ये डिसइंगेजमेंट अपने अंतिम चरण में है। दोनों सेना अपने टेंपरेरी टेंट और शेड हटा लिए हैं। साथ ही गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे हट चुके हैं।

कब से शुरू होगी गश्त?

क्रॉस वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद डिसइंगेजमेंट को आधिकारिक एक्सेपटेंस दी जाएगी। सूत्रों की मानें तो, इस महीने के आखिर तक पहली गश्त शुरू हो सकती है। इस महीने को खत्म होने में अब सिर्फ तीन ही दिन में बचेंगे। ऐसे में ये माना जा रहा है कि, गश्त अगले तीन दिनों में शुरू हो सकती है।

सैटेलाइट की तस्वीरों में नजर आए बदलाव

क्षेत्र में अभी भी चीन के स्ट्रक्चर बने हुए हैं। जो दिखाते हैं कि चीन ने वहां पर कई निर्माण किए हैं। दोनों पक्षों की उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया खत्म हो जाएगी। कुछ अमेरिका में मैक्सार टेक्नोलॉजी की तरफ से भेजी हुई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि आने वाले दिनों में अस्थायी निर्माण खत्म किए हैं।

ब्रिक्स समिट में हुई थी जिनपिंग से मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस में हुए ब्रिक्स समिट में मुलाकात की थी। जो उनकी साल 2019 के बाद से पहली द्विपक्षीय चर्चा थी। गतिरोध की शुरूआत मई 2020 में हुई थी जिसने जून में गलवान में हिंसक झड़प का रूप ले लिया था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी देते हुए बताया है कि देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त और चरवाहे से संबंधित एक्टिविटीज साल 2020 से पहले ही वाली स्थिति में आ जाएंगी। देपसांग और डेमचोक से पीछे हटने की जानकारी 18 अक्टूबर को सुनने मिली है।

होती रहेंगी मीटिंग्स

ऐसा माना जा रहा है कि, दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस लौट सकती हैं। साथ ही उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी जहां वो पहले करती थीं। इसके अलावा कमांडर स्तर की मीटिंग्स भी होती रहेंगी। 

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