बजट 2024: सरकार कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी: निर्मला सीतारमण
- एक फरवरी को आएगा बजट
- संसद में पेश होगा बजट
- निर्मला सीतारमण करेंगी पेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में बजट पेश होने में अब एक हफ्ते से भी कम का समय रह गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट पेश करने जा रही हैं। आपको बताते चले कि इस साल देश में लोकसभा चुनाव हैं. इसलिए यह अंतरिम बजट होगा, देश का पूर्ण बजट नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा। फिलहाल बजट को लेकर देश में अटकलों का दौरा शुरू हो चुका है और इस बीच वित्त मंत्री ने यह साफ कर दिया है कि भविष्य में वह किन सेक्टर्स पर फोकस करने वाली है। निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि केंद्र ने अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को मजबूत करने पर फोकस करने की योजना बनाई है।
हिंदू कॉलेज में छात्रों के साथ बातचीत करते हुए सीतारमण ने कहा कि देश के एग्रीकल्चरल इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए फसल की कटाई के बाद की प्रैक्टिसेज का आधुनिकीकरण करना और रिन्यूएबल एनर्जी, सेमीकंडक्टर्स, मटेरियल साइंस, अर्थ साइंसेज एवं स्पेस इंडस्ट्रीज जैसे उभरते उद्योगों में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना सरकार की योजनाओं में शीर्ष पर हैं। उन्होंने कहा, "इन सेक्टर्स को ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है और (यह) सिर्फ बजट में नहीं है। हम अनुसंधान एवं विकास में सुधार करने, शीर्ष विशेषज्ञों को सलाहकार के रूप में लाने (इन सेक्टर्स में) पर भी विचार कर रहे हैं।"
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के अनुसार, भारत वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, इसकी वित्त वर्ष 2024 में 7% की दर से विस्तार होने की उम्मीद है, जबकि अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं सुस्त विकास का सामना कर रही हैं। पिछले महीने राज्यसभा में एक डिबेट के दौरान उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग से अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम और मेक-इन-इंडिया जैसी सरकारी पॉलिसीज को श्रेय दिया था।
हालांकि, कई चुनौतियां अभी बनी हुई हैं, जिनमें वैश्विक विकास में गिरावट के कारण भारतीय निर्यात में मंदी भी शामिल है। उन्होंने पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में उच्च ब्याज दरों एवं यूक्रेन और पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक तनाव के प्रभावों की ओर इशारा किया, जिससे तेल की कीमतें बढ़ने और मुद्रास्फीति के दबाव का खतरा है। सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार और आरबीआई डिजिटल करेंसी के साथ जुड़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, "डिजिटल करेंसी सीमा पार भुगतान में मदद करेगी, पारदर्शिता लाएगी और रेमिटेंस के लिए भुगतान प्रक्रिया को तेज करेगी।"