फंडिंग की किल्लत के बावजूद देश में स्टार्टअप की संख्या 2014 के 350 से बढ़कर 90 हजार पर पहुंची

स्टार्टअप्स की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-27 12:17 GMT
From 350 in 2014 to 90K, Indian startups mushroom, to weather funding winter
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टेक क्षेत्र में फंडिंग की कमी और नई नियुक्तियों में सुस्ती के बीच देश में पिछले नौ साल में सभी क्षेत्रों में स्टार्टअप्स की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है जो किसी दूसरे देश में देखने को नहीं मिला।

कुछ वर्षों के भीतर भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बन गया है।

प्रबंधन सलाहकार जि़न्नोव के सहयोग से तैयार नैसकॉम की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम एक लगातार आगे बढ़ रही मालगाड़ी की तरह रहा है। इसके ट्रैक निवेश एवं अधिग्रहण तथा खुले निवेश कार्यक्रम से बने हैं जिसे कॉर्पोरेट के सहयोग और सरकार के समर्थन से बिछाया गया है। संस्थापक और निवेशक समान रूप से इसे गति प्रदान कर रहे हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पिछले महीने कहा था कि पिछले नौ वर्षो में देश में स्टार्टअप की संख्या 300 गुना बढ़ गई है। दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि 2014 से पहले भारत में सिर्फ 350 स्टार्टअप थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 90,000 से अधिक हो गई है।

फंडिंग में कमी के बावजूद, भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है, पिछले साल 1,300 से अधिक सक्रिय टेक स्टार्टअप जोड़े गए जिससे सक्रिय टेक स्टार्टअप्स की कुल संख्या 25,000-27,000 हो गई।भारत ने 2022 में 23 यूनिकॉर्न भी जोड़े - यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।

नैसकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष के अनुसार, मौजूदा मंदी के बावजूद, नवोन्मेषी कंपनियों के लिए प्रचुर अवसर हैं, जो उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठा रही हैं ताकि विकास पर व्यापार के बुनियादी सिद्धांतों को प्राथमिकता देते हुए कार्रवाई योग्य प्रभाव पैदा किया जा सके।पिछले साल अगस्त में भारत में यूनिकॉर्न की संख्या 100 हो गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन मन की बात में इस उपलब्धि का जश्न मनाते हुए कहा था देश में यूनिकॉर्न की संख्या 100 के आंकड़े तक पहुंच गई है और आप निश्चित रूप से जानते हैं कि एक यूनिकॉर्न कम से कम साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का है। इन यूनिकॉर्न का कुल वैल्यूएशन 330 अरब डॉलर यानी 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है। उन्होंने कहा था, निश्चित रूप से यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि हमारे कुल यूनिकॉर्न में से 44 पिछले साल बने थे। इतना ही नहीं, इस साल तीन-चार महीनों में 14 और यूनिकॉर्न बन गए।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया था कि आज भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। छोटे शहरों और कस्बों से भी उद्यमी उभर रहे हैं, जो दिखाता है कि भारत में जिसके पास इनोवेटिव आइडिया है, वही वेल्थ क्रिएट कर सकता है।इसके अलावा खास बात यह है कि देश में 18 प्रतिशत स्टार्टअप में कम से कम एक महिला संस्थापक या सह-संस्थापक है और कम से कम 36 मौजूदा या संभावित यूनिकॉर्न में कम से कम एक महिला संस्थापक या सह-संस्थापक है।

स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्टार्टअप की संस्थापक और सह-संस्थापक महिलाओं को एक वर्ष तक प्रति माह 20,000 रुपये मासिक भत्ता देने की भी घोषणा की है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पिछले सप्ताह कहा था कि कॉरपोरेट्स, सरकार, शिक्षाविदों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोग बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि देश में टैलेंट पूल वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए नवाचार और समाधानों का निर्माण कर सके।

सीआईआई स्टार्टअप्स शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान मंत्री ने कॉपोर्रेट और सरकार के सहयोग से स्टार्टअप्स को सशक्त बनाने पर जोर दिया। चंद्रशेखर ने सभा को बताया, यह हमारे देश की नवाचार क्षमताओं और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करने के लिए कॉपोर्रेट्स, सरकार, शिक्षा और स्टार्टअप के बीच संबंधों को बढ़ाने का एक अच्छा समय है।

उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में स्टार्टअप्स को सशक्त बनाने की दिशा में देश ने एक लंबा सफर तय किया है।मंत्री ने कहा, भारत में युवा उद्यमियों के लिए यह रोमांचक समय है क्योंकि उनके पास बहुत सारे अवसर हैं।चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि आगामी डिजिटल इंडिया अधिनियम (डीआईए) देश में स्टार्टअप नवाचारों के लिए एक संबल होगा।उन्होंने जोर देकर कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत स्पष्ट हैं कि सरकार जो कुछ भी करती है, वह स्टार्टअप स्पेस में नवाचार के लिए कठिनाइयों का कारण नहीं बनना चाहिए।

नैसकॉम-जि़न्नोव की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि फंडिंग में गिरावट के बारे में चिंता समझी जा सकती है, बाजार के व्यवहार और निवेश के रुझान के गहन विश्लेषण से पता चलता है कि स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र न केवल मंदी से बचने में सक्षम है, बल्कि 2023 में निवेशकों और ग्राहकों पर नए सिरे से फोकस भी जारी रखता है। उपभोक्ता जनसांख्यिकी के मजबूत मूल सिद्धांतों, तीसरी पीढ़ी के उद्यमियों और एक मजबूत टेक टैलेंट पूल को देखते हुए, भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र इस तूफान का सामना करने के लिए तैयार है।


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