झारखंड सियासी हलचल: शपथ के बाद बहुमत साबित करने की चुनौती, विधायकों को भेजा गया हैदराबाद
- चंपई सरकार के सामने बहुत साबित करने की चुनौती
- दस दिनों का दिया गया है समय
- 38 विधायकों को भेजा गया हैदराबाद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग केस में लंबी पूछताछ के बाद हेमंत सोरेन को ईडी की टीम ने 31 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से पहले ही सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया गया। शुक्रवार को चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। नई सरकार को बहुमत साबित करने के लिए दस दिनों का समय दिया गया है। इस बीच गठबंधन के 38 विधायकों को हैदराबाद रवाना कर दिया गया है। पार्टी को भाजपा के प्रलोभन पर विधायकों के दल बदलना का डर था जिस वजह से यह कदम उठाया गया है।
'फ्लोर पर दिखेगी ताकत'
गठबंधन में जेएमएम के साथी दल कांग्रेस के नेता बन्ना गुप्ता ने कहा कि लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। मामले पर बयान देते हुए उन्होंने कहा, "विधानसभा के फ्लोर पर ताकत दिखेगी। ना ही डरे और ना ही डरेंगे। लड़ाई जारी है और आगे भी जारी रहेगी। हम इनसे मुकाबला करेंगे। गठबंधन के 38 विधायकों ने हैदराबाद के लिए उड़ान भरी। अन्य लोग वहीं रूके हैं।" वहीं विधायक हफीजुल हसन ने विधायकों के हैदराबाद रवानगी को लेकर कहा, "हम बिरयानी खाने जा रहे हैं।"
विधायकों को हैदराबाद भेजने की वजह
सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के एक वरिष्ठ विधायक ने पीटीआई से बात करते हुए विधायकों को हैदराबाद भेजे जाने का कारण बताया। विधायक ने बताया कि बीजेपी विधायकों को लुभाने की कोशिश कर सकती है। यही वजह है कि 38 विधायकों को कांग्रेस शासित तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद शिफ्ट किया गया है। वरिष्ठ नेता ने पीटीआई से कहा, "सरकार का बहुमत साबित करने के लिए हमें 10 दिन का समय दिया गया है। हम इस दौरान कोई जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि बीजेपी हमारे विधायकों से संपर्क करने की कोशिश कर सकती है।"