मंदिर- मस्जिद विवाद: ज्ञानवापी मामले में आया बड़ा फैसला, हिंदू पक्ष को मिला पूजा करने का अधिकार
- ज्ञानवापी सर्वे में एएसआई को मिले कई शिलालेख
- हिंदू पक्ष को मिला पूजा करने का अधिकार
- देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में मिले शिलालेख
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मामले में आया बड़ा फैसला। हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार मिला। व्यास तहखाने में पूजा करने का अधिकार मिला। 7 दिन में जिला प्रशासन को व्यवस्था करने का आदेश दिया। इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके मस्जिद के तहखाने के सर्वे की मांग की है। इस याचिका में कहा गया है कि कोर्ट की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि कि एएसआई को बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए सर्वे करने का निर्देश दिया जाए।
हिंदू पक्ष ने याचिका में कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के बाकी सभी जगहों की जांच एएसआई की ओर से की जा चुकी है। केवल वह तहखाना ही शेष बचा है। इसलिए अब याचिका दायर कर पक्ष ने इस तहखाने की जांच कराने की मांग की है। यह तहखाना वही स्थान है जहां शिवलिंग जैसी संरचना मिली थी। बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसको सील कर दिया गया था।
आपको बता दें 21 जनवरी को एएसआई ने अपनी तीन महीने चली ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे की रिपोर्ट दोनों पक्षों को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद को पुराने भव्य मंदिर में कुछ बदलाव और मोडिफाई करके बनाया गया है। एएसआई के सर्वे में मस्जिद के अंदर ऐसी कई शिलालेख मिले। सर्वे की रिपोर्ट को कोर्ट के आदेश के बाद सार्वजनिक कर दिया।
एएसआई की सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष के वकील अलग अलग तरीके के दावा कर रहे है। एएसआई सर्वे में वहां पर 34 शिलालेख होने की बात कही गई हैं। जिन्हें हिंदू पक्ष के वकील हिंदू मंदिर होने के तौर पर वर्णित कर रहे है। हिंदू पक्ष के वकील का कहना है कि शिलालेखों का दोबारा उपयोग करके मस्जिद बनाया गया। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख मिले हैं। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं।
मुग़ल बादशाह औरंगजेब आलमगीर ने 20 वें वर्ष 1667-1677 में मस्जिद बनवाई थी। ज्ञानवापी का अर्थ है ज्ञान का कुआं। 1991 से इस मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई चल रही है। पर 2022 मे सर्वे होने बाद ये ज्यादा चर्चों मे है।