अयोध्या के पुराने पन्ने: विशाल मंदिर के मलबे पर बनी थी बाबरी मस्जिद, के के मुहम्मद ने अपनी आत्मकथा 'मैं एक भारतीय' में किया था जिक्र
- के के मुहम्मद ने खुदाई में मिले प्रमाणों को अपनी आत्मकथा में किया था जिक्र
- किसी प्रचीन और विशाल मंदिर के मलबे पर बनी थी बाबरी मस्जिद
- राममय हुआ देश का माहौल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विवाद का कारण हिंदुओं का एक दावा रहा है। हिंदू संगठनों ने हमेशा से दावा किया है कि बाबरी मस्जिद असल में राम जन्मभूमि स्थल है। प्राचिन काल में यहां एक राम मंदिर था। जिसे मुस्लिम आक्रांताओं ने नष्ट कर दिया। हिंदू संगठनों ने हमेशा से दावा किया है कि राम मंदिर के अवशेष पर बाबरी मस्जिद बनाई गई है इसीलिए इस स्थान पर हिंदुओं का हक है। इस भूमि को वापस लेने के लिए संत समाज और हिंदू संगठनों ने कई वर्षों तक संघर्ष किया है। राम जन्मस्थल के लिए किए गए संघर्ष में कई लोगों ने अपने जान तक की आहुती दे दी। हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच चल रहे संघर्ष पर 9 नवंबर 2019 को पूर्ण विराम लग गया। जब सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू समाज के हक में फैसला सुनाया।
राम मंदिर को लेकर जब अदालती मुकदमा चला तो हिंदुओं के दावे की जांच करने के लिए पुरातत्व विभाग की टीम विवादित स्थल पर पहुंची। 70 के दशक में यहां हुई खुदाई में पहुंची टीम का हिस्सा के के मुहम्मद भी थे। ये 1976-77 की बात है, तब के के मुहम्मद स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी में पढाई कर रहे थे और बतौर छात्र ही सर्वेक्षण टीम का हिस्सा बने थे। इस सर्वेक्षण के काफी साल बाद उन्होंने अपनी आत्मकथा 'मैं एक भारतीय' में बताया कि पुरातात्विक सर्वेक्षण में विवादित स्थल पर प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे।
मस्जिद के 14 खंभों की नक्काशी में हिंदू वास्तुकला
के के मुहम्मद ने अपनी किताब के सर्वेक्षण में हिंदू वास्तुकला और वैदिक काल के प्रतीकों के मिलने का दावा भी किया है। उन्होंने किताब में लिखा है कि बाबरी मस्जिद में इस्तेमाल उस मंदिर के सभी 14 खंभों की नक्काशी में हिंदू वास्तुकला और वैदिक काल के प्रतीकों से ऐसा लगता था कि तोड़ा गया मंदिर किसी अत्यंत प्राचीन काल से संबंध रखता था। इसके अलावा उन्होंने एक इंटरव्यू में इंदिरा गांधी को भी इस बात की जानकारी होने का दावा किया। इंटरव्यू में के के मुहम्मद ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले तथ्यों की जानकारी सरकार को भी थी लेकिन कोई इस मसले को सुलझाना नहीं चाहता था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट को किया गया गुमराह
पुरातत्वविद के के मुहम्मद ने मंदिर विवाद में कुछ लोगों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट को गुमराह करने का इल्जाम भी लगाया। उनका मानना था कि सियासी महत्वकांक्षाओं के वश में कुछ लोगों ने सुनियोजित ढंग से अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने प्रो. इरफान हबीब और प्रो. रोमिला थापर जैसे इतिहासकारों के बारे में कहा कि सियासी महत्वकांक्षा के चलते ये मानना नहीं चाहते हैं कि वे सिर्फ इतिहासकार हैं जबकि हम पुरातत्व वैज्ञानिकों से बेहतर कोई इतिहास का गवाह नहीं हो सकता है। मुहम्मद ने यह भी कहा कि अगर विश्व के किसी भी देश के पुरातत्व वैज्ञानिक अगर अयोध्या के इस विवादित स्थल का सर्वेक्षण करेंगे तो फिर से यही नतीजा निकलेगा कि किसी ऐतिहासिक मंदिर के अवशेष पर ही मस्जिद का निर्माण हुआ है।