बिहार सियासत: बढ़ रही नजदीकियों की अटकलों के बीच, सीएम-डिप्टी सीएम पर फंसा पेंच, बीजेपी ने नीतीश कुमार के सामने रखी बड़ी शर्त
- बिहार की सियासत में हलचल हुई तेज
- राज्य की महागठबंधन पार्टी गिरने के मिल रहे संकेत
- सत्ता वापसी के लिए बीजेपी ने दो दिप्टी सीएम की रखी शर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विपक्ष के इंडिया गठबंधन से बंगाल की तृणमूल कांग्रेस पार्टी और पंजाब की आम आदमी पार्टी की एग्जिट के बाद, अब बिहार की महागठबंधन सरकार गिरने के संकेत मिलना शुरू हो गए हैं। खबरे हैं कि, सीएम नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली जेडीयू पार्टी जल्द ही एनडीए में शामिल हो सकती है। ऐसे में राज्य में एक बार फिर से जेडीयू और बीजेपी की सरकार बनते हुई दिखाई देगी। सूत्रों के मुताबिक, सत्ता में वापसी के मद्देनजर भाजपा की नजरें सीएम की कुर्सी पर टिकी हुई हैं। इसके बदले बीजेपी जेडीयू को दो डिप्टी सीएम के पद ऑफर कर सकती है। मगर, नीतीश कुमार सीएम पद की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर बिहार में विधानसभा भंग करने का मुद्दा गहराया हुआ है। जिसे लेकर बिहार की मौजूद सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिशों में जुटी हुई है।
सीएम नीतीश की भाजपा से बढ़ रही नजदीकियां
बिहार की सियासत में हो रही उथल-पुथल कोई नई बात नहीं है। क्योंकि इससे पहले भी बिहार की सरकार में नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़कर आरजेडी का दामन थाम लिया था। मगर, इस बार लोकसभा चुनाव निकट भी नजदीक आ रहे हैं। जिस वजह से राज्य में पनप रहे ये सियासी हालात पहले की स्थिति से थोड़ी अलग है। वहीं, आगामी चुनाव में केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए बनाई गई विपक्षी दलों की इंडिया गठबंधन के सदस्य भी रहे चुके हैं। इस दौरान वह गठबंधन की कई बैठकों में भी शामिल रहे थे। लेकिन, हाल ही में जब गठबंधन की मीटिंग हुई थी। तब सीएम नीतीश कुमार को गठबंधन के संयोजक के तौर पर चुना जा रहा था। तब उन्होंने इस ऑफर को रिजेक्ट कर दिया था। जिसके चलते अब उनकी भाजपा से बढ़ रही नजदीकी की अटकलें आना शुरू हो गई हैं।
तेजस्वी बोले- गठबंधन सरकार में हालात सामान्य
बिहार में इन अटकलों का दौर तब से तेज हो गया था, जब हाल ही में सीएम नीतीश ने जेडियू की बागडोर अपने हाथों में ली थी। लेकिन, उस वक्त बिहार सरकार के कुछ मंत्री और जेडीयू के नेताओं ने इस पर कटाक्ष किया था। जिसके बाद इस पूरे मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा था कि यह महज एक अफवाह है। मगर, लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ-साथ महागठबंधन पार्टियां जेडीयू और आरजेडी में दरार आना भी शुरू हो गई है। बीते दिनों, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अपने पिता लालू यादव के साथ सीएम नीतीश से मीटिंग करने उनके आवास भी गए थे। उस समय उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था कि सरकार में हालात सामान्य हैं, जिसे लेकर उन्हें हर बार स्पष्टीकरण देने की जरूर नहीं है।
नीतीश ने परिवारवाद के मुद्दे को उठाया था
जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने की खबर सामने आई। तब मौजूदा गठबंधन सरकार में दोनों पार्टियों के बीच का अंदरूनी विवाद भी निकलकर बाहर आ गया। सीएम नीतीश ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने पर सोशल मीडिया पर एक ट्विट किया था। जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग नहीं किया था। मगर, कुछ देर बाद उन्होंने पुराने ट्विट को हटाकर उसकी जगह पर फिर एक नया ट्विट करके पीएम को टैग किया था। नीतीश कुमार के ऐसा करने से अटकलें तेज हो गईं। ऐसे में उन्होंने परिवारवाद पर जो बयान दिए थे, उस पर लालू यादव की बेटी ने उन पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना भी साधा था। बता दें, कर्पुरी ठाकुर को लेकर नीतीश कुमार ने बयान दिया था कि उन्होंने सत्ता में रहते हुए कभी भी अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया। उनकी इस बात से सीख लेते हुए मैंने भी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ने दिया। इसके बाद से ही उनकी इस बात को आरजेडी पर अप्रत्यक्ष हमले के रूप में देखा जाने लगा।