प्रदूषण बनेगा काल: दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर एम्स निदेशक ने जाहिर की चिंता, साइलेंट किलर से राजधानी में बिछ सकती है लाशें
- दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा
- दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक ने जाहिर की चिंता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर कम होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। जिसको लेकर दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया समेत अन्य विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है और दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए जो भी कीमत चुकानी पड़े वो चुकाने को कहा है।
दिल्ली में तकरीबन एक महीने से हवा की गुणवत्ता खतरे को पार कर चुकी है, जो राजधानीवासियों के लिए नई मुसीबत बन गई है। बढ़ते प्रदूषण को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी दिल्ली में हवा को दूषित होने से बचाने के लिए हर कीमत पर कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि इस समस्या से निजात मिल सके।
दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया का कहना है कि राजधानी की हवा लगातार दूषित होती जा रही है। जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है इसे तुरंत रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि, स्वास्थ्य को देखते हुए बिना रुके किसी भी कीमत पर कारगर कदम उठाए जाने की जरूरत है। प्रदूषण साइलेंट किलर बन गया है। इसे हर कीमत पर खत्म करना जरूरी है।
प्रदूषण विशेषज्ञों के मुताबिक, रिसर्च में पाया गया है कि लगातार बढ़ता प्रदूषण राजधानी के लोगों के दिल, दिमाग, सांस के मरीजों के लिए घातक बनता जा रहा है। शोध में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि प्रदूषण बढ़ने से बच्चों में न केवल अस्थमा की गंभीर बीमारी बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता पर भी असर डाल रहा है। यदि जल्द प्रदूषण पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो समस्या बड़ी हो सकती है।
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली एम्स में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य -विज्ञान, नीति, कार्यक्रम और सामुदायिक जुड़ाव पर आगे बढ़ने के लिए कार्रवाई विषय पर सेमिनार का आयोजन हुआ। इसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कई कारगर उपाय सुझाए हैं। जिसमें से एक टास्क फोर्स भी है जो प्रदूषण के रोकथाम के लिए कारगर साबित हो सकता है। इन सबके अलावा सेमिनार में प्रदूषण रोकथाम के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं और बजट में बढ़ोतरी पर भी चर्चा हुई। दिवाली से पहले ही दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर को पार कर चुकी थी।
दिल्ली के अलावा इसके पड़ोसी राज्य पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया था। जिसकी वजह खेतों में किसानों की ओर से पराली जलाए जाने को माना जा रहा है। एनसीआर यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद में करीब 10 दिनों से अधिक समय तक धुंध छाई रही थी,जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ हुई लेकिन अब यहां की स्थिति पहले से थोड़ी बेहतर है।
प्रदूषण को लेकर विज्ञान पत्रिका लैंसेट ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसके मुताबिक, भारत में एक साल में करीब 24 लाख लोगों की मौत प्रदूषण या इससे होने वाली बीमारियों की वजह से होती है। अगर इस रिपोर्ट की मानें तो देश में रोजाना 6.5 हजार लोगों की मौत प्रदूषण से हो रही है।