हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई- यूसीसी से इन धर्मों के लिए बदल जाएंगे ये नियम कायदे, पारसी और आदिवासी समाज पर ऐसा होगा असर!

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-30 14:45 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हाल ही में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पीएम मोदी ने यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता को लेकर बयान दिया था। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता को देशहित में बताया था। अपने संबोधन में पीएम ने कहा था कि, 'एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते. ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा?'। पीएम के इस बयान के बाद देश की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस समेत अधिकांश विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि पीएम ने चुनावी लाभ लेने का यूसीसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दें कि कुछ समय पहले लॉ कमीशन ने भी तमाम धार्मिक संगठनों और आम लोगों से यूसीसी पर उनकी राय मांगी है। कमीशन ने इसके लिए 15 जुलाई तक का समय तय किया है।

इस बीच देश के सभी धर्म को मानने वाले लोगों में ये चर्चा शुरू हो गई है कि यूसीसी लागू होने से उनके निजी धार्मिक नियम कानूनों में क्या बदलाव होगा? उन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

क्या है यूसीसी?

यूसीसी लागू होने से सभी धर्मों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, ये जानने से पहले जानते हैं कि आखिर इसका मतलब क्या है। दरअसल, यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता का मतलब है भारत में रहने सभी जाति, धर्म और लिंग के लोगों के लिए एक जैसा कानून होना। अगर यह लागू होता है तो शादी, तलाक और संपत्ति के बंटवारे जैसे अहम विषयों में सभी के लिए एक समान नियम होंगे। बता दें कि देश में अभी तक शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में अलग-अलग धर्मों के उनकी आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग कानून हैं। जैसे हिंदू धर्म के लिए हिंदू पर्सनल लॉ है और मुसलमानों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ। यूसीसी आने के बाद ये निजी कानून खत्म होकर सभी के लिए एक समान कानून लागू हो जाएगा।

भारतीय संविधान के नीति निदेशक तत्वों में सम्मिलित यूसीसी संविधान के आर्टिकल 44 का भाग है। जिसके अनुसार, सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू कराना सरकार का फर्ज है।

किस धर्म पर कैसा पड़ेगा प्रभाव?

हिंदू धर्म

अगर यूसीसी लागू होता है तो हिंदू धर्म के मौजूदा कानून हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में बदलाव करना पड़ेगा। जैसे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 2(2) में कहा गया है कि इस अधिनियम के प्रावधान अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होंगे। यूसीसी आने के बाद यह छूट खत्म हो जाएगी।

इस्माल धर्म

मुस्लिम पर्सनल एप्लीकेशन एक्ट के मुताबिक, शरीयत के हिसाब से शादियां, तलाक और भरण-पोषण का नियम लागू होगा। लेकिन यूसीसी लागू होने के बाद इनमें बदलाव होगा। जैसे की शादी की न्यूनतम उम्र में बदलाव हो जाएगा और बहुविवाह जैसी प्रथाओं का अंत हो जाएगा।

सिख धर्म

अभी सिख धर्म में आनंद विवाह अधिनियम 1909 के अंतर्गत विवाह होते हैं। हालांकि इस अधिनियम में तलाक का कोई प्रावधान नहीं दिया गया है जिस वजह से तलाक के लिए सिख धर्म में हिंदू विवाह अधिनियम लागू होता है। यूसीसी लागू होने के बाद सभी के लिए इकलौता कानून आ जाएगा ऐसे में आनंद विवाह अधिनियम भी खत्म हो जाएगा।

ईसाई धर्म

ईसाई धर्म के निजी कानूनों पर भी यूसीसी का बड़ा प्रभाव पड़ेगा। इससे विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार से जुड़े ईसाई धर्म के निजी कानून प्रभावित होंगे। उदाहरण के लिए ईसाई तलाक अधिनियम 1869 की धारा 10A(1) के तहत पति पत्नी को आपसी सहमति से तलाक लेने का आवेदन देने से पहले दंपत्ति को कम से कम दो साल तक एक साथ रहना अनिवार्य है। यूसीसी लागू होने के बाद ये कानून खत्म हो जाएगा।

इसके अलावा उत्तराधिकार अधिनियम 1925 भी खत्म हो जाएगा। जिसके मुताबिक, माताओं को उनके मृत बच्चों की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलता है। उनकी जगह इस संपत्ति के अधिकारी उनके पिता होते हैं।

पारसी धर्म

पारसी धर्म के विवाह और तलाक से जुड़े निजी कानूनों पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। अभी पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 ये कहता है कि जो भी महिला किसी अन्य धर्म के व्यक्ति से शादी करती है, तो वह पारसी रीती रिवाजों से जुड़े अपने सारे अधिकारों से वंचित हो जाएगी। इसके अतिरिक्त पारसी धर्म में गोद ली हुई बेटी को वो अधिकार नहीं मिलते जो कि गोद लिए हुए बेटे को मिलते हैं। जैसे कि पिता का अंतिम संस्कार उसका गोद लिया बेटा ही कर सकता है बेटी नहीं। यूसीसी आने के बाद यह नियम बदल जाएंगे।

आदिवासी समाज

यूसीसी आने के बाद आदिवासी समाज के सभी प्रथागत कानून खत्म हो जाएंगे। उदाहरण के लिए यूसीसी लागू होने के बाद पूरे देश में विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार से जुड़े नियम सभी के लिए एक समान हो जाएंगे। ऐसे में इस समुदाय की महिलाओं को भी अन्य समुदाय जैसे संपत्ति में समान अधिकार मिल जाएगा।

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