सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: AMU के अल्पसंख्यक दर्जे पर पलटा पुराना फैसला, SC ने नए सिरे से निर्धारण के लिए बनाई 3 जजों की बेंच

  • एएमयू यूनिवर्सिटी का बरकरार रहेगा माइनॉरिटी दर्जा
  • तीन जजों की बनाई समिति
  • बहुमत से दिया फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-08 05:50 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (8 नवंबर) को बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि AMU अल्पसंख्यक का दर्जा नए सिरे से तय करने के लिए तीन जजों की पीठ बनाई गई है। यह फैसल 4-3 की मेजॉरिटी से सुनाया गया है। आपको बता दें कि, SC ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। जिसमें कहा गया था कि एएमयू अल्पसंख्यक इंस्टीट्यूट नहीं है।

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा- हमें तय करना है कि किसी संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा कैसे दिया जा सकता है। भाषाई, सांस्कृतिक या धार्मिक अल्पसंख्यक अनुच्छेद 30 Article 30) के तहत अपने लिए संस्थान बना सकते हैं, लेकिन यह सरकारी नियमन से पूरी तरह अलग नहीं होते।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अनुच्छेद 30A के तहत किसी संस्था को अल्पसंख्यक माने जाने के मानदंड क्या हैं? किसी भी नागरिक द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान को अनुच्छेद 19(6) के तहत प्रतिबंध किया जा सकता है। अनुच्छेद 30 के तहत अधिकार निरपेक्ष नहीं है। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के विनियमन की अनुमति आर्टिकल 19(6) को ध्यान में रखते हुए दी गई है, बशर्ते कि यह संस्थान के अल्पसंख्यक चरित्र का उल्लंघन (Violation) न करें।

सात जजों की बेंट ने दिया फैसला

एएमयू के अल्पसंख्यकों के दर्जे को लेकर 7 जजों की पीठ ने बहुमत से फैसला सुनाया है। इस बेंच में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला, न्यायाधीश दीपांकर दत्ता, न्यायाधीश मनोज मिश्रा और न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं।

क्या है कॉन्स्टिट्यूशन का आर्टिकल 30? 

भारतीय संविधान अनुच्छेद 30 के अंतर्गत भारत में धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यक समुदायों को अपने धार्मिक और शैक्षिक अधिकारों का संरक्षण प्राप्त है। यह अनुच्छेद अल्पसंख्यक समुदायों को उनके सांस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षिक अधिकारों के संरक्षण की गारंटी देता है, ताकि वे अपनी पहचान बनाए रख सकें और प्रगति कर सकें।

अनुच्छेद 30 के अंतर्गत कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय अपने धार्मिक और शैक्षिक गतिविधियों के लिए संस्थान स्थापित कर उनका संचालन कर सकता है। राज्य ऐसे संस्थानों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, जब तक कि वह संस्थान राष्ट्रीय हित और अन्य कानूनी मानकों के खिलाफ न हो।

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