महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: टॉप कोर्ट ने एनसीपी के दोनों पक्षों को दी नसीहत, कहा चुनावी माहौल के बीच अदालतों में अपना समय बर्बाद न करें

  • महाराष्ट्र में दिलचस्प चुनावी मुकाबला
  • चुनाव के बीच में पार्टियों को सुको की फटकार
  • कोर्ट ने चुनाव चिह्न को लेकर एनसीपी अजीत पवार को दी चेतावनी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-06 12:18 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र चुनावी माहौल के बीच सर्वोच्च अदालत ने एनसीपी अजीत पवार और एनसीपी शरद पवार दोनों ही दलों को नसीहत दी। सुको ने कहा चुनावी प्रचार के बीच दोनों दल अपना वक्त कोर्ट में बर्बाद ना करें। कोर्ट ने दोनों पार्टियों से कहा चुनावी मौसम में जमीन पर जाएं और मतदताओं को अपनी नीतियों से प्रभावित कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करें। 

यहीं नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार नेतृत्व वाली एनसीपी को 36 घंटे के भीतर समाचारों में एक डिस्क्लेमर प्रकाशित और प्रसारित करने का निर्देश दिया है। सुको ने डिस्क्लेमर में एनसीपी से कहा है कि एनसीपी को घड़ी चुनाव चिह्न आवंटित करने का केस कोर्ट में विचाराधीन है। सुको ने इसे प्रकाशित कराने को कहा है।  

288 विधानसभा सीट वाले महाराष्ट्र विधानसभा में इस बार का चुनाव दिलचस्प होने जा रहे है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के दो धड़ों में बंट जाने से वोटों में भी बंटवारे की आशंका है। देश की तीसरी सबसे बड़ी विधानसभा वाले महाराष्ट्र क शिंदे सरकार में 102 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। दूसरे नंबर पर 40 विधायकों के साथ एनसीपी अजीत पवार , तीसरे नंबर पर 38 विधायकों के साथ शिवसेना शिंदे है। विपक्षी खेमे के पास कुल 71 विधायक हैं। 37 विधायकों के साथ विपक्ष में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है।शिवसेना यूबीटी के पास 16 विधायक हैं। एनसीपी एसपी के पास 12 विधायक हैं।

आपको बता दें जून 2022 में महाविकास अघाड़ी सरकार शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के बगावत करने के कारण  गिर गई थी। शिवसेना पूरी तरह से दो धड़ों में बिखर गई। शिवसेना शिंदे और शिवसेना यूबीटी नेतृत्व में आई। उसके कुछ समय बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानि एनसीपी नेता अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर एनसीपी को दो गुटों में बिखेर दिया। अजीत पवार अपने 40 विधायकों के साथ एनडीए वाली शिंदे सरकार में शामिल हो गए। इससे एनसीपी भी एनसीपी अजीत पवार और एनसीपी शरद पवार में बंट गई। चुनावी चिह्नों के लेकर दलों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। शिंदे को तो शिवसेना का चिह्न मिल गया लेकिन एनसीपी अजीत पवार को मिले चुनाव चिह्न पर कोर्ट ने चुनावी मौसम के बीच में शर्त और डिस्क्लेमर जोड़ दिया है। 

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