विश्व खाद्य दिवस 2024: हर साल 16 अक्टूबर को क्यों सेलिब्रेट किया जाता है वर्ल्ड फूड डे? जानें इसकी हिस्ट्री और थीम

  • 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा विश्व खाद्य दिवस
  • हर साल होती है डिफ्रेंट थीम
  • भारत को लेकर क्या कहती है 'GHI' रिपोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-15 13:39 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हाल ही में 19वीं "ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI)" की रिपोर्ट में 127 देशों में भारत को 105वें स्थान पर रखा गया है। यह वो डाटा है जो भारत को हंगर लेवल के लिए "गंभीर" कैटेगरी में रखता है। तो ऐसे में यह चौकाने वाला डाटा हमें "वर्ल्ड फूड डे"(World Food Day) की अहमियत का एहसास कराता है, जिसे हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। हर साल 16 अक्टूबर को पूरी दुनिया में "वर्ल्ड फूड डे" मनाया जाता है, जिसका मकसद सिर्फ भूख को खत्म करना ही नहीं, बल्कि एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना है जहां हर थाली में खाना हो और हर इंसान को पोषण मिले। यह दिन हमें याद दिलाता है कि दुनिया का हर इंसान भरपेट भोजन पाने का हकदार है। इसकी शुरुआत 1945 में उस दिन की याद में हुई थी जब "संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन" (FAO) की स्थापना हुई। जिसका लक्ष्य दुनियाभर में भुखमरी को खत्म करना, पोषण में सुधार करना और फूड सिक्योरिटी को बढ़ावा देना है। आज जब हम खाने की बर्बादी और भूखमरी जैसे गंभीर मुद्दों का सामना कर रहे हैं, तब यह दिन हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपनी फूड सिस्टम को बेहतर कैसे बना सकते हैं। ताकि आगे आने वाली पीढ़ियां भी इस धरती के संसाधनों का सही तरीके से यूज कर सकें और भूख का नामो-निशान मिट सके। तो ऐसे में "वर्ल्ड फूड डे" 2024 के मौके पर यह जरूरी हो जाता है कि हम फूड सिक्योरिटी के अहमियत और इस फील्ड से जुड़ी कुछ विशेष जानकारियों को अच्छे से समझें।

"वर्ल्ड फूड डे" की हिस्ट्री

"संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन" (Food and Agriculture Organization-FAO) 'संयुक्त राष्ट्र' (UN) की एक स्पेशल एजेंसी है जो दुनियाभर में भुखमरी की समाप्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है। इसकी स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 में हुई थी। जहां FAO के असीम प्रयासों के चलते साल 1979 में पहली बार "वर्ल्ड फूड डे" मनाने का फैसला लिया गया। जिसके बाद से हर साल 16 अक्टूबर को "वर्ल्ड फूड डे" के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझने और एक ऐसी दुनिया बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने को एकजुट करता है जहां खाने की थाली में सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि दुनिया का भविष्य के लिए खाद्य प्रणाली का पुनर्निर्माण हो सके। कुल मिलाकर, इस दिन का संदेश साफ है – "हमें मिलकर काम करना होगा ताकि दुनिया में कोई भी भूखे पेट ना सोए।"

 "वर्ल्ड फूड डे" 2024 की थीम

दिलचस्प बात यह है कि इस दिन के आयोजन में हर साल एक अलग थीम होती है जो बदलती ग्लोबल चैलेंजेज को ध्यान में रखकर चुनी जाती है। अब चाहे वह जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न फूड क्राइसिस हो, या फूड सप्लाई की अव्यवस्था। "वर्ल्ड फूड डे" इन मुद्दों को जागरूकता में लाने और समाधान की दिशा में काम करने का एक मंच प्रदान करता है। साल 2024 की थीम है "बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार" (Right to foods for a better life and a better future)। इस थीम के जरिए ये कोशिश है कि हम ऐसी फूड सिस्टम बनाएं जो ना सिर्फ लोगों को खाना दे, बल्कि वो टिकाऊ हो यानी लंबे समय तक चलने वाली हो। साथ ही, हमें ये भी सोचना होगा कि कैसे हम खाने की बर्बादी को रोकें और कैसे हर एक इंसान तक पौष्टिक भोजन पहुंचा सकें, खासकर उन जगहों पर जहां लोग गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे हैं।

"ग्लोबल हंगर इंडेक्स(GHI)" 2024 में भारत की रैंकिंग

आपको बता दें कि 2024 के लिए 19वीं "ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI)" रिपोर्ट में भारत को 127 देशों में से 105वें स्थान पर रखा गया है, जो इसे भूख के स्तर के लिए "गंभीर" कैटेगरी में रखता है। GHI ग्लोबल लेवल पर भूख को मेजरिंग और ट्रैक करने के लिए यूज किया जाने वाला एक इक्विपमेंट है जो कुपोषण, चाइल्ड स्टंटिंग, चाइल्ड वीकनेस और चाइल्ड डेथ रेट जैसे लक्षणों पर आधारित है। इस इंडेक्स को कंसर्न वर्ल्डवाइड, आयरिश ह्यूमैनीट्रेशन ऑर्गेनिशन और जर्मन एड एजेंसी द्वारा पब्लिश किया जाता है।

2024 में 27.3 के GHI स्कोर के साथ भारत का प्रदर्शन बहुत ही डराने वाला बना हुआ है, जो भूख के स्तर में इसे "गंभीर" कैटेगरी में रखती है। अब ऐसे में जहां भारत की तुलना दक्षिण एशियाई पड़ोसियों देश जैसे बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से की जाती थी जो "मध्यम" श्रेणी में आते हैं। तो वहीं अब इसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ लिस्टेड किया गया है, जो गंभीर भूख चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट में भारत के बहुत ही चिंताजनक फिगर्स सामने आए हैं जो कहते हैं कि- भारत की हर 13.7% आबादी कुपोषित है, पांच साल से कम उम्र के 35.5% बच्चे अंडरडेवलप हैं, तो वहीं 18.7% बच्चे कमजोर हैं और 2.9% बच्चे अपने 5वें जन्मदिन से पहले ही मर जाते हैं। ये फिगर्स कुपोषण, अनहेल्दी एनवायरमेंट और एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स तक अपर्याप्त पहुंच से संबंधित गहरी जड़ें जमाए हुए मुद्दों को दर्शाते हैं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (डॉक्टर/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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